रश्मि | rashmi

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rashmi by महादेवी वर्मा - Mahadevi Verma

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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रश्मि गीत क्योह्न तारों को उलकाते? अनजाने हो प्रणो में क्‍यों द्रा आ कर फिर जाति? पत्न में रायों को मंकृत कर, फिर विराय का अस्फुट स्वर मर, मैरी लघु जीवन-वीणा पर क्या यह अरुफुट गाति? लय मे मेय चिर करुणा-पन, कम्पन में सपनों का स्पन्दन, गीतों में भर चिर सुख चिर दुख कण करण में बिखराते | मेरे शैशव के मधु में घुल मेरे यौवन के मद्‌ मे दुल मेरे आंसू स्मित में हिलमिल मेरे क्‍यों न कहते




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