रसगन्धर्व | Ras Gandharv

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Ras Gandharv by मणि मधुकर - Mani Madhukar

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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५ 4 4 न तीनों : तीनों : : सुस्ती नहीं, क्रान्ति... क्रान्ति भरा गयी 1 £ ग्ररीबी हट गयी, कुर्सी पट गयी, रात कट गयी ? ‡ कट गयी । ४ तो बताग्रो, झव हम ज़िम्मेदारी संभालें । चारों कू डे के ढेर पर इस तरह दूट पड़ते हैं मानो उसमें से अपने लिए कुछ पाना चाहते हूं । ४ जोर तेरा -- : होश्या७ ! ४ भाई मेरा-- ४ होश्या55 ! ४ उड़न कबुतर-- £ होश्या$5 ! ४ भूरी बिल्ली-- : होश्या& ! : पहुंची दिल्ली-- : होश्याऽऽ ! : बन पटरानी-- : होदयाऽऽ ! ४ बोले बानी-- ४ होश्या5$ ! : (नारी-क्ठ बनाकर) तुम. ..मुझे खून दो, मैं. . तुम्हें... दो मुट्ठी... चून दूंगी । : (आ्रालाप लेकर) होश्या55. ,,हीश्या55... ! £ (नारी-कंठ में उसी तरह) देश...को...तुम्हारी..,जरूरत है, इसलिए, ..श्रपनी ,..जरूरतें , ..कम. . .करो । (श्रालाप लेते हुए) होश्या$5, .,होश्या55. ., ! नेपथ्य में युद्ध के मगाड़ों की ध्वनि 1 (प्रालाप लेते हुए) डम-डम, ढम-ढम होश्या55, ..हंगम-जंगम द्वोश्या55. ..! नेपथ्य में ज॑से युद्ध का कोलाहल तेज्ञ हो उठता है। सहता अं, ब, स, द कड़े में कुछ ढूंढ़ लेते हैं। ४ मिल गया, मुझे मेरा हथोड़ा सिल गया। (हथौड़ा कन्धे पर रखकर मंच का चक्कर लगाता है। ) : यह्‌ रहा र्दा, मेरा रन्दा । मेरी श्री । (रन्दः और पारी संभाले रसमन्धवं : १५




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