बोलो बोधि वृक्ष | Bolo Bhodhi Vriksh

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Bolo Bhodhi Vriksh by मणि मधुकर - Mani Madhukar

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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चांचो गोगो चांचो भोगा चोचा गोगो चोचो गोगो चाचा गोगो चाचों योगो चाचो गोगो चोचो गोगा चोचो गोगा चोचो सागो चांचो बोलो बोधिवक्ष / 25 खुलता है। दोना बुछ पल एक दूसरे को क्टखनी निगाहा स घूरते है, फिर ठहाका लगा कर हँस पडत है ।] (हँसते हुए) ओो5हो हु हो गयी ! (पेट पकड कर हसीं रोकते हुए) घ्रधधध७ज्त तेड्रे वी । तु&मन ता मुझे हँसा55६ हँसा कर मार डाता | देख हकक्‍लू ! बोल, टक्लू ! हम दोनो विदूषक है! रगमच रूपी ड्वफ बाड़ के सिक्‍योरिटी गाड ! एकदम सही दू&5 हड्डे ड परसेंट मही । मेरा नाम चोचो, तुम्हारा नाम गागा ! चाचो और गोड्छगा | हम अपनी मर्जी से विदृूषक नही बने। नही$55 बने | इतिहास गवाह है कि विदूषक पदाइशी नही होते हैं, जनता उह बनाती है! 55 बनाती है! कहना चाहिए कि जनता उह चुनती है । चु&नती है । हम जनता ने चुना है! 55 चुना है 1 क्यो चुना है २ चनती नही$७ तो वरती क्‍या ? यानी जनता के पाय बोई विवत्य नही था । 555 नही था | बह मजबूर थी वि हमे चुन!




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