कोठारी की बात | Kothari Ki Baat
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
11 MB
कुल पष्ठ :
160
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)लाया ९५
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हैं ।' कहकर में फिर अपनी ड्यूटी पर चला गया। कोठरियाँ खोलकर
क्रेदियों को कारखाने में पहुँचाना था |
सब्र कोठरियाँ खोलकर में उसकी कोटरी पर पहुँचा। दरवाज़ा खोल-
कर मेंने कहा, अरुण बाबू , चलो कारखाने में । कहते-कहते मैंने वह
चिट्ठी उमके हाथ में दे दी। उसने कहा, आज तबीयत ठीक नहीं, में
काम पर नहीं जाऊंगा ।'
'तो फिर डाक्टर को रिपोर्ट करनी होगी ।
कर दो॥
'वे अभी यहाँ आएँगे ।' कहकर मेंने आँख से इशारा किया ।
वह बोला, हाँ, हाँ, आने दो ।' और कुछ मुस्कराया | मुझे तसल्ली
हो गह कि उसने इशार। सममः लिया है । मेँ कोटरी बन्द् कर डाक्टर को
बुलाने चल। गया ।
जव में डाक्टर के साथ वापस श्राया तव वह् कुद चवा रहा था! इमे
देखकर जल्दी से निगल गया । मेने मन-ही-मन कहा, ठीक है, चिद्री तो गई ।
डाक्टर ने क्रदी से कटा, जवान दिखाश्रो |
क्रेदी ने जवान निकाल दी । डाक्टर उसे देखने को कुका और बहुत
धीरे-धीरे बोला, अगर तुम चाहो तो में तुम्हारी मदद कर सकता हू ॥
रदी ने मुस्कराकर उसी तरह धीरे-धीरे उत्तर दिया, भेरे पास कुछ
नहीं हे । ओर होता भी तो. . .”
मे मुंह फेरकर हंसा । डाक्टर बोला, क़ददी बीमार नहीं हे, बहाना
करता हे । साह को रिपोर करो, कहकर वह चला गया ।
मेंने कहा, अरुण बाबू , तुमने अच्छा नहीं किया । उसने हँसकर
जवाब दिया, मुझे अब किसी की परवाह नहीं हे ।-
आधे घण्टे के बाद हेड वाडर ओर डिप्टी के साथ साहब आये ।
उन्हें देखकर क़रेदी उठा नहीं--वहीं बेठा रहा । साहब ने डपटकर पूछा,
“काम पर क्यों नहीं जारा ^
उसने शान्त भाव से उत्तर दिया, तबीयत ठीक नहीं हे ।'
साहब ने कहा, ट वेर्टी स्टादप्स !` अर चले गये । जाने पर म।लूम
हुश्रा--अीस वंत का हुक्म दे गये हे ।
हेड बार उसे उसी वक्त ले गये । मेँ सन्न हुश्च! । अपनी ड्यूटी पर
बेटा रहा, ..
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