हिंदी काव्य में नारी | Hindi Kavye Main Nari

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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८ एए ) संयोग-वियोग पक्ष मे नारी चितेण-- नाधिका भेद ओर नख-शिख वर्णन--भा रतेन्दु के समकालीन कवियों (बावा सुमेररसिह उपाध्याय, श्री बद्रीनारायण चौधरी 'प्रेमघन' ठाकुर जगमोहनपभिह, पं० अम्बिकादत्त व्यास, श्री राधाकृष्ण दास, श्री प्रतापनारायण मिश्र, वालमुकुन्द गुप्त आदि) के नारी-चित्रण में प्रेम तथा सौन्दर्य की भावना-- निष्कर्ष । , ख-- हिवेदी-पुग' ( जाग्ृति-काल ). की विशेषताएँ--काव्यधारा मे नया मोड़--नारीत्व में सामाजिक चेतना और राष्ट्रीय] की उच्च भावना का क्रमश विकास--ह्विविदीजी के समकालीन प्रमुख. कवियों (सर्वश्री रामचरित. उपाध्याय, गयाप्रसाद शुक्ल 'सनेही, पं० श्रीधर पाठक, रामनरेश त्रिपाठी, लाला भगवानदीन, अयोध्यार्सिह उपाध्याय 'ह्रिमोध', वाव मेथिलीशरण गुप्त, दुलारेलाल भार्गव, वियोगी हरि, जगन्नाथदास “रत्नाकर, नाथुराम शंकर शर्मा, गुरुभक्तसिह, पं० द्वारिकाप्रसाद मिश्र, ठाकुर गोपालशरण सिंह, श्यामनारायण पाण्डेय आदि) की रचनाओं में वर्णित सौन्दय एवं प्रणय-भावना-नारी विषयक आदर्शो की स्थापना-निष्कषं । ग--छायावाद-रहस्यवाद युग! (विकास-काल) की विशेषताएँ--छायावादी काव्य में प्रेम तथा विरह्‌ का स्वरूप--ना री सौंदयं-दर्शन में मधुर भाव की स्थापता-- नारी की दोनों अन्तर-बाह्य प्रकृति का चित्रण--प्रकृति-चित्रण में नारी की प्रधानता-- सवंश्री जयशंकर 'प्रसाद', सूर्यकान्त त्रिपाठी निराला, सुमित्रानन्दन पन्त तथा सुश्री महादेवी वर्मा द्वारा स्वरूप, शैली, विषय से सम्बन्धित नवीन काव्य प्रयोग-नारी विषयक मान्यताओं, प्रतीको तथा उपमावों मे परिवत्तंन--नारी का विस्तृत कायं त-निष्कष.। घ--छायावारोत्तर प्रगतिशील-प्रयोगवाद-युग' (नव्य-काल) की विशेषता प्रगति” 'प्रयोग' का अर्थ - प्रेम और सौंदर्य की कलागत अभिव्यक्ति--सर्व श्री हरि- कृष्ण प्रेमी, रामकुमार वर्मा, भगवतीचरण वर्मा, सियारामशरण गुप्त, बालक्ृष्ण शर्मा नवीन, सुभद्राकुमारी चौहान, माखनलाल चतुर्वेदी, रामाधारी सिह 'दिनकर', हरवंशराय “बच्चन', नरेन्द्र शर्मा, रामेश्वर शुक्ल 'अंचल' आदि द्वारा नारी के आत्म सम्मान और सामाजिक प्रतिष्ठा के विकास का प्रयत्तन--निष्कर्ष । इ--नथी-कविता' की प्रवृत्तियाँ--कुछ प्रमुख कवियों ( सर्वश्री अज्ञेय, आरसीप्रसाद सिंह, धर्मवीर भारती गिरिजाकुमार माथुर, लक्ष्मीकान्त वर्मा नागाजु न, कु बर नारायण, जगदीश गुप्त आदि ) की मार्क्सवादीं विचारधांरा से प्रभावित नारी-भावना--श्री गोपालदास सक्सेना नीरज' तथा हास्यरस के कवियों की स्वतन्त्र विचारधारा मे नारी -निष्कषं |




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