जीवन श्रेयस्कर पाठमाला | Jeevan Sareskar Pathmala
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
10 MB
कुल पष्ठ :
354
श्रेणी :
हमें इस पुस्तक की श्रेणी ज्ञात नहीं है |आप कमेन्ट में श्रेणी सुझा सकते हैं |
यदि इस पुस्तक की जानकारी में कोई त्रुटि है या फिर आपको इस पुस्तक से सम्बंधित कोई भी सुझाव अथवा शिकायत है तो उसे यहाँ दर्ज कर सकते हैं
लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)गाप्से १६ | লগা
रत
न्व
५१
तिणि सया तेत्तीसा धणुक्तिभागों य होड़ चोधत्वा |
एसा चय सिद्धाण उक्कासोगाहणा भणियरा ॥ ७1
चत्तारि थ स्वणीओ स्यणिति भायूणिया च वाध्रच्वा।
ण्सा खलं सिद्धाणं मच्छ्िमओगादणा भणिया ॥ ६॥।
एदा च होड रणी सादीवा अंयुला कद्र भव ।
पसा खलु सिद्धाण जहृण्णओंगाहणा भणिया 11 ५ ॥]
आओगाहणाए सिद्धा भवत्तिभागेण होड परिहीणा 1
বহাল তাং जरामरणविप्पमुक्काणं ॥ ८॥
जत्थ य. एगो सिद्धो तत्थ अणंता भवक्खय्विमुक्का ।
अण्णोण्णसमोगाढा पुद्ा स्व्वे य छोगंत ॥ ५॥
फुसड अणंते सिद्धे सव्वपएसेहि णियमसा सिद्धा |
ते वि असंखेज्नारुणा देसपएसेहिं जे पुषा ॥१०॥
असया जीवधणा उवञत्ता दंसणे य णाणे य।
सानारमणारारं र्स्खणमेयं तु सिद्धाणं ॥११॥
केवर्णाणुवञ्त्ता जाणंहि सन्वभावगुणभावे ।
पासति सव्वओ खट्ट केवलदिद्धिअणंताहि ॥1%॥
णवि अधि माणुसाणं तं॑सोक्खं णविय सव्वदेवाणं ।
जं सिद्धाणं सोक्खं अव्वावादं उबगयाणं ॥1१३॥
जं देवाणं सोक्ख सव्वद्धापिडियं अणंतगुणं।
-ण च पाव मुत्तिसुहं॑ णंताहि वम्गवग्मृदि ।१४।
सिद्धेसछ खद रासो सव्वद्धापिंडिओ जई दवेल्ना ।
জীতানলহামহজ(. सुव्वागाम ण माएल्ला ॥१५))
_ जह णाम कोई सिच्छो णगरगणुण चहूविहे वियाणंतो ।
ण चण्ड परिकहेड उवमाण तहि असंतीए ॥१६॥
User Reviews
No Reviews | Add Yours...