जीवन श्रेयस्कर पाठमाला | Jeevan Sareskar Pathmala

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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गाप्से १६ | লগা रत न्व ५१ तिणि सया तेत्तीसा धणुक्तिभागों य होड़ चोधत्वा | एसा चय सिद्धाण उक्कासोगाहणा भणियरा ॥ ७1 चत्तारि थ स्वणीओ स्यणिति भायूणिया च वाध्रच्वा। ण्सा खलं सिद्धाणं मच्छ्िमओगादणा भणिया ॥ ६॥। एदा च होड रणी सादीवा अंयुला कद्र भव । पसा खलु सिद्धाण जहृण्णओंगाहणा भणिया 11 ५ ॥] आओगाहणाए सिद्धा भवत्तिभागेण होड परिहीणा 1 বহাল তাং जरामरणविप्पमुक्काणं ॥ ८॥ जत्थ य. एगो सिद्धो तत्थ अणंता भवक्‍खय्विमुक्का । अण्णोण्णसमोगाढा पुद्ा स्व्वे य छोगंत ॥ ५॥ फुसड अणंते सिद्धे सव्वपएसेहि णियमसा सिद्धा | ते वि असंखेज्नारुणा देसपएसेहिं जे पुषा ॥१०॥ असया जीवधणा उवञत्ता दंसणे य णाणे य। सानारमणारारं र्स्खणमेयं तु सिद्धाणं ॥११॥ केवर्णाणुवञ्त्ता जाणंहि सन्वभावगुणभावे । पासति सव्वओ खट्ट केवलदिद्धिअणंताहि ॥1%॥ णवि अधि माणुसाणं तं॑सोक्खं णविय सव्वदेवाणं । जं सिद्धाणं सोक्खं अव्वावादं उबगयाणं ॥1१३॥ जं देवाणं सोक्ख सव्वद्धापिडियं अणंतगुणं। -ण च पाव मुत्तिसुहं॑ णंताहि वम्गवग्मृदि ।१४। सिद्धेसछ खद रासो सव्वद्धापिंडिओ जई दवेल्ना । জীতানলহামহজ(. सुव्वागाम ण माएल्ला ॥१५)) _ जह णाम कोई सिच्छो णगरगणुण चहूविहे वियाणंतो । ण चण्ड परिकहेड उवमाण तहि असंतीए ॥१६॥




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