श्री मद्वाल्मीकीय रामायण बाल कांड | Shri Madwalmikiya Ramayan Bal Kand Ac.1755
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
12 MB
कुल पष्ठ :
306
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)संगं
९५
९६
ও
५८
५.५.
1००
१०१
विवरण
घनका न ठेना 1 रामचन्द्रका उनका परिचय
एवं चरिनके बनानेवारेका परिचय पृखना ।
“वाल्मीकिका बनाया है! | लव-कुशका कहना
एवं मुनि आश्रमका लछोटना।
छच-कुशके मुंहसे क्पना चरित सुननेके बाद
मुनि और सीताको बुलनेऊे लिये रामका दूतको
भेजना | धुनिका, सांता शपथ देने आवेगी,
कहकर दूसका छौदाना । ६३७५-२३ ६
यज्ञशाल्ामें मुनिके साथ सीताका आना।
वारुमोकि और रामचन्द्रको बातचीत । वाह्मी-
कका अनेक प्रकारा दापथ करना) २३६-२३७
सीताका शपथ करना और प्रथवाकनेते सिहा-
सनका निकलना | स्रीताकों प्ृथर्व देवीका
अपने हाथोंगे उस सिटासनपर बेदाकर,
सिंहासन सहित प्रथवीर्स जाना! जारा
पुष्पर्वृष्ट | सब्चका उकित होना ।
रामचर्द्रका साताके लिये रोक करना। ब्रद्मा-
का आकर समझ्ताना एच उत्तरक्रोडकी कथा
सुनने लिये कहना । २४०-२४)
लव-कुशका शेप कथा করনা । रामक्रा यज
জন্য গে আযীয विदा करना । कौसल्या,
सुमीम्रा एवं केकर्याकी मृत्यु । २५२-२४३
बेकय देशके राजाकों अपने युम्कां गन्धवदेद्ा
जीतनेका संदेश लेफर পীএলা। হালড়া লা
ओर पुष्कलको भरत साथ गन्धवंदशका
मेजना !
ष्टे
रे८३-२४५
मरत सादिका राब्धरनदेश विजय कफे
अयोध्या लौट आना ।
হালক্ষা लक्ष्मणके पुत्र अंगद और चउन्द्रऊनु्के
लिये नगर-निर्माण कौर उनका. राञ्या-
सिपक करना |
२४०५-२४ ६
२३२--२३४
२३८-२३९ ,
२४६-२४८ ,
सगं
१०२३
१०५
१०६
१५५
त
५१
1०९
१०
१११
विषय सुषौ
विवरण
रामचन्द्रके पास कालका तपम्वीद, रूपमे
আনা | হাল और तप्म्वीकी बासचोन।
एकानन््तमें बात
द्ारपालके रूपमें ढ्ारपर ই বলা ।
त्तपस्वी रूपकालका ब्रह्माक संदेश कहता |
रामका हफ प्रकट करना | २४९-२००
दुर्वासाका रामसे शिक्ष मिल्नेंके लिये
লাল কনা ण्व रूद्मणका टहरनेहे
लिये कहनेपर क्रोघ करना |
रामके पास जाना । रामका आदर दुर्वसाओं
भोजन पराना एवं प्रनिज्ञा स्मरण करके
शोक करना। २५१ रणर
लक्ष्मणका रास भाजा भेव करन करण
अपनेको वध “লক द्थ्यि सहना । रामना
सभामे घितार। बरसिष्टओ ऋटनेये रासका
सट्टणणको ध्थागना । और उत्तका सवर्भ
খান জালা । ১৯৭
হালদা অহনা কাজল ছি
পুত
करनेके लिये लक्ष्मणका
२४७८-२४०९
च्ग्धमणका
নন নানক
इच्छा प्रकर करना | मरतका लव कृशको
राज्य देनेकी प्रार्थना । छृर-कुश का राजवा।वि-
पक; शन्नुन्नक यहां दृतरा जाना ।
दूनका शत्रुत्तफे पास १६ चशा হালদচা
अपन पुद्नोका হা মনত জব) আম্মা
क এ
यात्र, करना। एवं रमक प,२ पचक
साथमे चल्नका प्राथत क्राश। सु 01
आदि वानर और [उभाषण সার সানা
আাগলা
एज साथ चल्नेका क ॥
रामका सब : यथावत स्मजान्ग ॥ ५५५१५२५५
रामचद्र अ {कि परसधासयत्रा | २११५-१
रामचन्द्र जटिक परमधाम पथारना । २५१--६१
राप्रायण प्रद्सक्। फल! २६१..२६२९
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