जैन दर्शण मनम और मीनांसा | Jain Darshan Manan Aur Mimansa

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Jain Darshan Manan Aur Mimansa  by मुनि नथमल - Muni Nathmal

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मुनि नथमल जी का जन्म राजस्थान के झुंझुनूं जिले के टमकोर ग्राम में 1920 में हुआ उन्होने 1930 में अपनी 10वर्ष की अल्प आयु में उस समय के तेरापंथ धर्मसंघ के अष्टमाचार्य कालुराम जी के कर कमलो से जैन भागवत दिक्षा ग्रहण की,उन्होने अणुव्रत,प्रेक्षाध्यान,जिवन विज्ञान आदि विषयों पर साहित्य का सर्जन किया।तेरापंथ घर्म संघ के नवमाचार्य आचार्य तुलसी के अंतरग सहयोगी के रुप में रहे एंव 1995 में उन्होने दशमाचार्य के रुप में सेवाएं दी,वे प्राकृत,संस्कृत आदि भाषाओं के पंडित के रुप में व उच्च कोटी के दार्शनिक के रुप में ख्याति अर्जित की।उनका स्वर्गवास 9 मई 2010 को राजस्थान के सरदारशहर कस्बे में हुआ।

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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१९. २०. संस्कृत साहित्य प्रादेशिक साहित्य ० गुजराती साहित्य ० राजस्थानी साहित्य ० हिन्दी साहित्य ५ : ज॑न संस्कृति १. . कला - चित्र-कला . लिपि-कला . मूतिकना ओर स्थापत्य-कला ক छ + 2০ ০৪ পি ब्र्त जैन पर्व . जैन धर्म का प्रभाव-क्षेत्र जन धमं ` विकाम ओर हास ६ : चिन्तन के विकास में जेन आचार्यों का योग ~ < ०८ ल ८ ५1 १. श्रद्धावाद-हेतुवाद २. . प्राचीनता भौर नवीनत्ता . काल-हेतुक अवरोध भौर उनके फलित ~ अध्यात्म कः उन्मप - धर्म का सूत्र - साधन-शुद्धि : हृदय-परिवर्तन ০. नैतिकता . सर्वेधर्म-समन।व जर णान्तरस्न यथाथंवाद दूसरा खण्ड : दर्शन १. दर्शन ৭:55 ০০০ . दर्शन की परिभाषा - पूल्य-निणय की दुष्टिया « दर्शन की प्रणाली . आस्तिक दरशन की भित्ति-- आत्मवाद . दर्शन - १६९: ९३ द ९४ ९५ ६६ ९७ १०३ १०३ १०४ १०४ १९५ १०६ १०८ १११ ११४ ११५ ११८ १२० 1२६ 1२८ १३० १३१ 1३१ १३५ १३६ १३८ १३९ १४७




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