कविवर क्षेमेन्द्र के उपदेश एवं हास्यापदेश - परक काव्यों का आलोचनात्मक अध्ययन | Kavivar Kshemendra Ke Upadesh Evm Hasyapadesh - Parak Kavyon Ka Aalochanatmak Adhyayan

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Kavivar Kshemendra Ke Upadesh Evm Hasyapadesh - Parak Kavyon Ka Aalochanatmak Adhyayan by शिव कुमार - SHIV KUMAR

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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लता * में उनके पुत्र तोमेन्द्र द्वारा रचित भूमिका तथा कल्हण की राजतरंगिणी भी इनके सम्बन्ध में पर्याप्त पारिचय देने में समर्थ है । काल बृहत्कधाम>जरी , समयमातृका”, बोष्छ्तित्त्वावदानकल्पलता- एवं दशाव- तारचरिता नामक ग्रन्थी के अन्तर्व्ती उल्लेखीं ते उन-उन ग्रन्थी के रचना तवत्‌ क्रमाः 12, 25, 27 एवं +। दिये हुए हैं। औचित्यविचारचर्चा, कविकण्ठाभरणु, বে, বা হারার আর টির ওযা খর বাহার জামার) পার হারা রা আরে হারার ওর जहि भको वि कोकः शिक ধারার বারা হট शि गते पोकः सधि चगो छेकः अक कयात सोः कनदः ঢায ওরা এড রা, ধর হারার গর सिक উরে এ ওর ভরা, জানা, কের, विः आक (मिः कामद যার ও এরা গার জারা বার ।. कदाचिदेव विप्रेण स द्राटश्धामरपी षितः । 3, ५, प्रार्थितौ रामयरत्ता तरतः स्वच्छचेत्सा ॥ ~ बृहत्कथा मजरी, उपरतहार, पलीक 39. . सवत्सरे पचविशे पौष्क्ाक्ला दिवातरे । प्रीमता भ्रतिरक्षायै रचितीऽयं स्मिती त्सवः ॥ - समयमातृका, उपत्तहार, ব্লাক 2. सव त्रे सप्तविे वैाखस्य पसितीदये । कृतेयं कल्पलतिका जिनजन्ममही त्वे ॥ ~ बी धिप त्त्वावटानकल्पलता, प्रस्तावना, पलक ।6. एकाधिके:ब्दे विहिताचत्वारिश तकार्तकि । रज्ये कनशश्रभरतुः क मी रेष्वच्युतत्तवः || - देशावता रचारित, उपसहार, इलोक 5.




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