धातुयो के रोचक तथ्य | Dhaatuo Ke Rochak Tathya
श्रेणी : शिक्षा / Education
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
8 MB
कुल पष्ठ :
174
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)कार्य-जवधि तीन गुना बढ़ गई । इसके साथ-साथ बैटरियों की तापीय परास-
भी काफी बढ़ गई 40८८ ताप पर् भी बैटरी डिसचार्ज नहीं होती और
से 20०८ नीचे तापमान होने पर भी सही सतल्लामत रहती है! एक लीथिय
अपघरित्र में इतने ज्यादा या कम ताप को सहने की क्षमता नही होती
ही में जापान में हाथ की घद़ियों के लिए ऐसे सेल बनाए गए है। इन से
ऐपेनोडी मे लीथियम प्रयुक्त किया गया है जिसका वजन केवल 54 माइक्रो
यह ऐनोड मनष्य के बाल से भी बारीक है। एक सेल से घडी 200-30
चल सकती है। अमरीकी फर्म भी ल्ीधियम से काफी आशा लगाए बेर्ठ
कुछ कार्बनिक लीथियम यौगिकों (स्टिऐरेट, पामिऐट तथा अन्य) कं
गुण विस्तृत ताप-परिसरण में वैसे के वैसे ही रहते है जिसकी वजह से
प्रयोग सैनिक मशीनों के ग्नेहक के रूप में किन
किया जाता हे! यह नीधियमसयुक्ते स्नेहक ^ लि ও
ही तो हे जिम्तकी बज़ह से ऐेण्टार्कटिक ০ শু
महाद्वीप में भारी जीपे 7से-ऐसे इलाकों में (রক ५:
पहच जातो हैं जहा तापमान -80% तक
गिर जाता है। लीथिवम-स्नेहक कारों में भी = कक
बहुत विश्वसनीय सिद्ध हुआ हे। सोवियत ४ 4 त;
कार लाद कं मालिक उसे शाश्वत ভিন্ন উট? |
सनक कते है । इस कारकं कुछषपंणरत क ॐ ^
पुर्जों को सिर्फ एक वार রম জীরক কী ক 018 6
जरूरत पड़ती हे। ০
हालीवुड् की छिट फिल्मों पर बनी चेकोस्लोवाकियन पैरोडी का एक
पात्र फिल्म में 'शैतानी काकटेल' लेता है ¦ वेह कई सारे गिलास खा जार
भारतीय योगी भी तो अक्सर ऐसा करिश्मा दिखाते है। वे पहले गिलास
ड और फिर उसकी किरचे इतने स्वाद के साथ निगलते है जैसे कि इससे
स्वादिष्ट कोई और चीज है ही नहीं। अगर हम पाठकीं से यह पूछें : “क्या :
कभी कांच खाया है” जवाब मिलेगा-'कैसा बेहूदा सवाल कर रहे हैं?
रूप से कभी नहीं खाया ।” परंतु पाठक भ्रम में हैं। साधारण कांच जल मे £:
हो जाता है। यह वाते जस्र टै कि वह चीनी की तरह नहीं घुलता, पर :
जरूर है। सर्वाधिक सग्राही वैश्लेषिक तुला यह बताती है कि गरम चाय ठ
गिलास के साथ हम 1/1000 ग्राम कांच खा जाते हैं। लेकिन काच बनाते
अगर उसमें जैन्थेनम, जिर्कोनियम तथा लीथियम के लवण मिला दिए जा
सबसे हल्की धातु
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