अमृत राय के साहित्य में प्रगतिशील विचारों की अभिव्यक्ति के अवरूप का मूल्यांकन | Amrit Ray Ke Sahitya Men Pragatisheel Vicharon Ki Abhivyakti Ke Swaroop Ka Mulyankan

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Amrit Ray Ke Sahitya Men Pragatisheel Vicharon Ki Abhivyakti Ke Swaroop Ka Mulyankan by वीरेन्द्र सिंह - Virendra Singh

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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और सगठन चलाने का काम आरंभ हुआ। ऐसे लोग स्वयं साहित्यकार नही थे। हंसराज रहबर' ने उन लोगो के नामो ओर कार्यो का उल्लेख किया है- (1) डाक्टर अशरफ, जो अलीगढ मुस्लिम युनिवर्सिटी में इतिहास के प्रोफेसर थे (2) डॉ0 महमूद जफर, अमृतसर के एक कॉलेज मे वाइस प्रिंसिपल थे और उनकी पत्नी डॉ0 रशीद जहां (3) प्रोफेसर हीरेन मुकर्जी जो आक्सफोर्ड से बेरिस्टरी की डिग्री लेकर आए थे और कलकत्ता में बैरिस्टरी कर रहे थे (4) ड युसूफ हुसैन खां, जिन्होने भक्ति ओर सूफी धर्मदोलन पर पेरिस से डोक्टरेट की उपाधि प्राप्त की थी ओर (5) हठी सिंह, जिनका बाद मे पं0 नेहरू की बहन कृष्णा से विवाह हुआ ओर जो आक्सफोड से शिक्षा प्राप्त कर भारत लौटे थे। अतएव यह अनुमान लगाना कठिन नहीं है कि इन ऊंचे तबके के पढ़े-लिखे शरीफों और बुद्धिजीवियों के संपर्क से स्वाभाविक था कि सज्जाद जहीर को युनिवर्सिटी के प्रोफेसरों और विद्यार्थियों का सहयोग प्राप्त होता। इलाहाबाद में प्रगतिशील लेखक संघ चलाने के लिए जो सहयोगी मिले उनमें अहमद अली फ़िराक़ गोरखपुरी, डाक्टर सैयद एजाज हुसैन, प्रोफेसर एहतेशाम हुसैन, वकार अजीम, पंत, शिवदान सिंह चौहान ओर नरेन्द्र शर्मा उल्लेखनीय है। इस बात की पुष्टि शिवदान सिंह चौहान? के इस वक्तव्य से भी होती है, “इलाहाबाद की पार्टी ब्रांच में इलाहाबाद में प्र. ले. सं. शुरू करने का फेसला हुआ। मुझे इलाहाबाद प्र. ले. सं. का सचिव चुना गया, मेरे और सज्जाद जहीर के ही माध्यम से पार्टी प्र. ले. सं. से संबंध रखती थी। इलाहाबाद प्र. ले. सं. के कार्यक्रमों एवं बैठकों में हिन्दी उर्दू के अनेक लेखक-फ़िराक़, ऐजाज़ हुसैन, एहतेशाम हुसैन, भगवतीचरण वर्मा, शमशेर, नरेन्द्र शर्मा व शुरू-शुरू में डॉ. रामकुमार वर्मा भी शामिल होते थे।”” रोशनाई' नामक अपनी पुस्तक मे सज्जाद जहीरः प्रगतिशील लेखक संघ बनाने के 1 हसराज रहबर, श्रगतिवाद : पुनर्मूल्याकनः, प्रथम संस्करण, नवयुग प्रकाशन, दिल्ली, सन्‌ 1966 ई0, पृ - 25 शिवदान सिह चौहान, “अभिप्राय'-24-25, 'सिहावलोकन' 3 हसराज रहबर, श्रगतिवाद : पुनर्मूल्याकनः, प्रथम सस्करण, नवयुग प्रकाशन, दिल्ली, सन्‌ 1966 ई0, पृ -26-27 पर सज्जाद जहीर की उर्दू पुस्तक “रोशनाई से उद्धत




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