अपूर्व अवसर | Apurv Avasar
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
5 MB
कुल पष्ठ :
196
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)(१४)
पू प्रयोगादि कारणना योगी,
ऊधरगमन सिद्धाय प्राप सुस्थित जो;
सादि अनत अनत समाधि सुखां,
अनंत दर्शन ज्ञान अनंत दित जो ।अपूषे० ॥१९॥
जे पद श्री सवब्े दीएुं ज्ञानमां,
कदी शक्या नहीं पण ते श्री मगवान जो;
বহ स्वरूपने अन्यवाणी ते शु कहे !
अनुभवगोचर मात्र रह ते ज्ञान जो ॥अपूब० ॥२०॥
एद परमपद प्रापि शयु ध्यान में,
गजा वगरने हाल भनोर्थ रूप जो;
तो पण निश्चय राजचन्द्र मनने रहो,
সন্ত আন্বাহ थाश ते ज॑ स्वरूप जो ॥अपूच० ॥२१॥
च
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