नाटक समयसार | Natak Samayasaar
श्रेणी : जैन धर्म / Jain Dharm
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
18 MB
कुल पष्ठ :
622
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)=
। पूृष्ठाक
“उत्तम, मध्यम, अधम और
अधमाधम जीवोंका स्वभाव २३१३
उत्तम पुरुषकां स्वभाव २३४
मन्यम + ` ॐ २३६
-अधम ॐ 39 २३७
-सथमाघम्,, =» २३८
मिथ्यारीकी अदुद्धिका वणेन २४०
-गूढ् मनुष्य विषये विरत महीं
होते २४१
- अलतानी जीवकी मूदतापर खग
অক জীব अभिका टत २४२
-अज्ञानी जीव वंधनसे न सुलक्ष
सक्रनेपर दंत २४३
- अज्ञानी जीवकी अहूबुद्धि पर
. दध॑त হা
अह्तानीकी विपयासक्ततापर दर्घत २४५
जो निर्मोही है वह साधु हे... २४६
सम्यग्दी जीव आत्मस्वरूपमें
* स्थिर होते हैं २४६
` दिष्यका परद्न २४७
शिष्यकी शंकाफा समाधान २४८
जढ् ओर चेतन्यकी एथकता २५०
-आत्माकी शुद्ध परणाति २५०
-शरीरफी अवस्था ` २५१
संसारी जीर्वोकी दश्चा कोल्टरके
वैरुकै समान है सधय
“संसारी जीवोंकी हालत ' ३७६
वयतुः] ` ४:
~ ८ ~,
এ
पाक 7
घन सम्पत्तिसे मोह हंटानेका -
उपदेश र७५७
लौकिक जनोंसे मोह हटानेका
उपदेश २५८
शरीरम तरिखोकके बिखस
খাল ই २०८
जात्मविदास जाननेका
उपदेश >५९
आत्मस्वरूपकी पहिचान ज्ञानसे
होती है २६०
मसकी च॑चर्ता २६१
मनकी चंचठतापर ज्ञानका
प्रभाव २६२
मनकी स्थिरताका प्रयत्न २६३
आत्माुमव करनेका उपदेश २६४
आत्म-अदुभव करनेकी विधि २६५
आत्मानुसवसे कर्मबंध नहीं होता २६६
सेदज्ञानीकी क्रिया २६७
„+ का पराक्रम ९६८
আহহ अधिकारका ভান २६९
५ मोक्ष द्वार
प्रतिज्ञा २७०
मंगलाचरण २७०
सम्यगन्ञानतै आत्माी सिद्धि
होती है २७१
सुबुद्धि विलास २७३
सम्यन््नानीका सहत्व दद
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