श्री अपरोक्षा अनुभूति | Shri Aparoxa Anubhuti
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
3 MB
कुल पष्ठ :
112
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)सरकतरीकान्भाषर्दीकपहित । (९)
शमशतिशब्दितः अंतःकरणनिग्रहः शमशब्दाथैः
वष्यवृत्ताना बरत्रवागादीनां निग्रहो निषिद्िरवृत्तिति
रस्फारोदम इति शब्देनाभिधीयते कथ्यते ॥ & ॥
भा. टी. संसारकी वासनाओंका त्याग करना शम्
कहावे है ओर बाह्य _वृत्तियोंकों रोक ढेना अथीव नापि-
कादि इन्द्रियोंको गन्धादि विषयसे हटाकर वशमें कर लेना
दर्मा कहावे है ॥ ६ ॥
( उपेरति और तितिक्षास्वहप )
विषयेभ्यः पराष्त्तिः परमोपरतिरहि
1 ॥ सहनं सवेदुःखानां तितिक्षा सा
शुभा मता ॥ ७ ॥
`. सं. टी. विषयेभ्यइति हीति प्रसिद्धेभ्यों बंधकेभ्य
शब्दादिभ्यो या परावृत्तिनिवृत्तिरनित्यत्वादिदोषदशे
नेन अहणानिच्छा .सोपरतिरूच्यत इत्यथः की्थी
सेव्यत आह परमेति परधुक्छृष्ठमासज्ञानं यस्या
सकाशानायते सा परमा आस्मज्ञानसाधनभूतेत्यथं
अनया सवेकमरसन्या्षो ठक्ष्यते किच सहनंभिति सव
दुःखानां सबेडुःखसाधनानां शीतोष्णादिद्वंद्वानां यत्स-
हन॑ प्रतीकारानिच्छा सा शुभा खुखरूपा तितिक्षा मता
विदुषामित्य्थः ॥ ७ ॥
भा. टी. विषयोंसे अत्यन्त चित्तको हटालेनेका नाम
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