युग - धर्म | Yug Dharm

55/10 Ratings. 1 Review(s) अपना Review जोड़ें |
Book Image : युग - धर्म  - Yug Dharm

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

Author Image Avatar

हरिभाऊ उपाध्याय का जन्म मध्य प्रदेश के उज्जैन के भवरासा में सन १८९२ ई० में हुआ।

विश्वविद्यालयीन शिक्षा अन्यतम न होते हुए भी साहित्यसर्जना की प्रतिभा जन्मजात थी और इनके सार्वजनिक जीवन का आरंभ "औदुंबर" मासिक पत्र के प्रकाशन के माध्यम से साहित्यसेवा द्वारा ही हुआ। सन्‌ १९११ में पढ़ाई के साथ इन्होंने इस पत्र का संपादन भी किया। सन्‌ १९१५ में वे पंडित महावीरप्रसाद द्विवेदी के संपर्क में आए और "सरस्वती' में काम किया। इसके बाद श्री गणेशशंकर विद्यार्थी के "प्रताप", "हिंदी नवजीवन", "प्रभा", आदि के संपादन में योगदान किया। सन्‌ १९२२ में स्वयं "मालव मयूर" नामक पत्र प्रकाशित करने की योजना बनाई किंतु पत्र अध

Read More About Haribhau Upadhyaya

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
न পি. पा क्रान्तन्युम ~ পরত . -संसार मे अब पूजीवाद्‌, ` सेनावादं ओर ` संन्तावादं ` का - दुर कंम होता जा रहा है; और समंतावाद, जनतावाद और शान्तिवाद की आवाज ऊँची उठ रही है । यूरोप में. -कंस्यूनिष्म, बोल्शेंबिज्स, और भारत ' में ` गोधीजम इसके : खबंत- हैं । ऐसा दिखाई पड़ता है! कि अब ` धनवानों ओरं सत्तावानों, पुरोहितों और पोथी-परिंडतों, धंम-गुरुओं और मठांधीशों के बुरे ग्रह आ रहे दै, ` ओरं दलित,“ पीडित, पतित, निंल-- किसान, मजद्र, “अत ओर खयो ` के छ ग्रहः उदयः हों रहे है । महः विया, बुद्धि, ˆ धन, सत्ता या प्राखएंड के बल॑:परं-“संमाज में आंदर पानेवालों का - ` . युगं जा रहा है श्रौर सेंवाशीलं; निःस्वाॉथ, सच्चे लोगों को ' युग आ रहा है । अब समाज में केवल इसलिए कोई बात नहीं चलने पावेगी कि किसीं ने ऐसा' कहा है, अथवा कोई _ জা लिख” गया है; “बल्कि वहीं ` बात ` मान्य “होगी . जिसे लोग व्यक्ति, देश और समाज के लिंएं अच्छा “ओर उपयोगी- सममेंगे । अनेक देवी-देवंताओं की पूजा उठ -कर एक इंश्वर की आराधना होगी। वेद, क्रान, इंजील, ` स्मरति, पुराण, आदि मेँ सेवी ` बातें कायस ` रहेगी जो “ बुद्धि और नीति की कसोंटी पर सौ टच की साबित होंगी। .. मुझे तो ऐसा सी स्पष्ट दिखाई पड़ता दै कि भारत की वर्ण-व्यवस्था और विवाहन्कल्पनों को भी एक बारे गहंरा 'घंका पहुँचेगो । अब जन्म के कारण कोड बडा या छोटा, হে




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now