समष्टि आर्थिक सिद्धांत | Samasti Arthik Siddhant

Samasti Arthik Siddhant by एस सी सक्सेना - S. C. Saxena

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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= | समष्टि आधिक सिद्धान्त (7) विकास सम्बन्धी समस्याओं के निराकरण में सहायक- समप्टिपन्य अधथंशास्थर ने राष्ट्रीय आय तथा सामाजिक लेखाओं जैसे विययो वे अध्ययन को महत्वपूर्ण बनाया है । इनते द्वारा हम विसी देश वी आथिक स्थिति वा पता लगा सवते है| समप्टि- परक आथिव विश्लेषण ने अद्ध -विकसित देशो की विकाम नमभ्वन्धी समम्यायं। कै अध्ययन अर इनके निराकरण को सम्भव वनाया है। अर्थिक समघ्टिमाव फो सोमाएं एव दोष (09051050005 ৪0৫. 10152058062005 06 2070 ০0897৩5) आधिव समप्टिभाव के लाभ वे अलावा इसके बुछ प्रमुस दोप एवं सीमाएँ লিচন प्रकार है. +« (1) व्यक्तियत इकाइयों के अध्ययन के लिए अपर्पाप्ति समष्टि जयणास्पवे अन्तर्गत केवत गमृहा ओरुत) अथवा वुल वा अध्ययन किया जाता है और इसम व्यक्तिगत इकाइयों का अध्ययन नहीं हेता है। जब कि व्यक्तिगत इवं।ई का अध्ययन अथव्यवस्था से जरूरी होता है जो ममध्टिगत अथ शःम्त्र के अन्तगत नहीं हता। इस प्रवार समप्टिगत अर्थशास्त्र अधूरा है । (2) ध्रामक स्थिति का परिचायव- समप्टिगत अथ शास्त्र बा आधार मानकर লা नीतियाँ बनाई जातौ ह वह कभी-वभ श्रामक परिणाम उत्पन्न वर सती ट। उदाहरण।र्थ यदि देश वा कोमत स्तर सामान्य है ता इससे यह अनुमान लगाना गलत हांगा कि सभी बस्तुआ वी कीमता मे सामान्‍य स्थिति हो बुछ बी कीमत बढ़ रही हागी ता बुछ वी गिर रही होगी । (3) समप्टिगत मात्राओ की भ्रयति में असुविधा- जब व्यप्टिगत माभाओं र॒ याग हारा समष्टिगत मात्राआ वो प्राप्त क्या जाता है तो वह उपयुक्त नहीं है सकता । सभी वस्तुओं तथा सवा वे मूल्या वो मुद्रा में व्यत्त बरवे राष्ट्रीय आय का अनुमान लगाना कठिन हाता है । यदि अनुमन्धानवर्ता का दृष्टिकोण पक्षपातपरूण हा ता भी निष्पर्ष सही नही होगे । इस प्रवार समष्टियत मात्राओं वा सही अनुमान लगाने में अनेव कठिनाइयों वो अनुभव होता है 1 व्यष्टि तवा समष्टि अर्थशास्त्र मे अन्तर [छंज्ञाएलाींगा ऐटफट्सा फैल शाए 209 6০07077165) व्यप्टि तथा ममप्टि अर्थ शास्त्र में अन्तर निम्न भ्रवार से देखा जा सकता है -- (1) व्यप्टि अय॑ शास्त्र में छोटी-छोटी इकाइयो का अध्ययन हाता है जैंसे एक তালি, एक फर्म, एवं परिवार, एवं उद्योग आदि । जव वि सम्टि अर्थशास्त्र हृवाइयों वे योग अर्थात्‌ राष्ट्रीय योगौ फा अध्ययन वरता है जैसे कुल राष्ट्रीय आय बूव उत्पादन वृत बचत, बुत उपभोग तथा बुल रोजगार आदि । (2) व्यप्टि अर्थ शास्त्र अर्थव्यवस्था वे सूद्म अथवा एवं भाग से सम्बन्धित हाता है जवकि समप्टि अर्थशास्त्र का सम्बन्ध सम्पूर्ण भयं व्यवस्था ग हतां है । (3) व्यप्टि जथंणास्त्र मे योग वो तोड़ने ধী হিয়া (01528015500) বা आधार माना जाता है जबकि समप्टि अर्थशास्त्र था आधार योगं करने थी त्रिया (580585002) होता है 1 নে (4) व्यस्टि अय॑ शास्त्र का मुरय विषय कीमत सिद्धान्त वा विश्वेषण बरना होता ९ जवति ममर्द ज्मास्य বা मुस्य वियय राष्ट्रीय आय तथा रोजगार होता है।




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