उत्सुक गाँधी उदास भारत | Utsuk gandhi udas bharat
श्रेणी : इतिहास / History
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लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
862 KB
कुल पष्ठ :
78
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)उत्सुफ़ गाधी उदास भारत १७
हा!
हराम | बसे मैया २!
कसे क्या? विभाजित पजाव का फिर विभाजन हेस्यिणा।
हिमालय को हरी भुजा वे नीचे सोए असम स नागालण्ड और फिर
पहाडी राज्य मेघालय आध्य म॑ तलागमना वी अलग माग और ने
मालूम कैसी-क्सी विद्रोही विवेकहीन विपावत आवाज़ें निकल रही है
विलंगता वी । क्षेत्रीयत्ा का घातक विप इस विशाल राष्ट्र पुरुप वे'
शुवा शरीर भ इतनी तेजी से फल रहा है जिसकी कोई सीमा नहीं |
* असाध्य होने पर बावा ! सिवा पश्चाताप क॑ और वृ पल्ले नहीं
पडेंगा।
तो इस रोग वे' प्रसार बा कारण वया है भाई ?
“मूल तो गाधीवाद और उनके जनुयायी ही समझो ।
लेक्नि गाघी ने तो एसा नही कहा था।
ता क्या कहा था उहोने ?” युवव कुछ उत्तेजित होकर बोला ।
* उस बेचारे ने तो स्पप्ट बहा था सच वात तो यह है वि' आपको
गाधीवाद नाम धो छोड देना चाहिए, नहों तो आप अघ कूप से जावर
पिरेंग। वाद का तो नाश होगा ही उचित है। भर मरने के बाद मरे
नाम पर अगर कोई सम्प्रदाय निकला तो मेरी जात्मा रून करेगी। £
भर प्रातीयता के विष के सम्वघ म भी तो उस गरीब न हृदय
से कहा था कि हम धातवाद भी मिटातरा चाहिएं। यदि आभ्र वाले
कहुकि आध्रआ धन वे लिए है उत्कल निवासी कहे कि उत्वल
उत्कल बासियाकै लिए ट तो इस तरह कापी प्रातीयता ना जाती है।
सच तो यह है कि आ-ध् और उत्तल दाना को दश और जगत के लिए
कुर्बान हान के लिए तयार हाना है। *
युवक बापू वे मुह की ओर देखने लगा। थाड़ा रफकर बोला,
लक्नि बाबा उनके अनुयायी ता सभी अ्रधिकाशे क्या समझा सण्ड
१ भाविवान्दा २२२ ४०
३ ग्राघों सवा सघ सम्मलन डलाग २५ * ইল
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