सरदार वल्लभभाई - भाग 1 | Saradaar Vallabhabhaaii: Pahalaa Bhaaga

55/10 Ratings. 1 Review(s) अपना Review जोड़ें |
श्रेणी :
Saradaar Vallabhabhaaii:  Pahalaa Bhaaga by नरहरि द्वा. परीख - Narahari Dwa. Parikhरामनारायण चौधरी - Ramnarayan Chaudhry

लेखकों के बारे में अधिक जानकारी :

नरहरि द्वा. परीख - Narahari Dwa. Parikh

No Information available about नरहरि द्वा. परीख - Narahari Dwa. Parikh

Add Infomation About. Narahari Dwa. Parikh

रामनारायण चौधरी - Ramnarayan Chaudhry

No Information available about रामनारायण चौधरी - Ramnarayan Chaudhry

Add Infomation AboutRamnarayan Chaudhry

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
€ হ नवजीवन संस्थाके कार्यके सिलसिलेमें गांधीजी, सरदार और महादेवभाओ और अिसी प्रकार दूसरे बुजुगंसे मेरा काम पड़ा। संस्था और असके कामके साथ मेरा जो सम्बन्ध है अुसके कारण जिन सबके साथ मेरा निकट सम्बन्ध रहा है। परन्तु अुन सबमें से अपरोक्त तीनोंके साथ केवल कामके सम्बन्धके सिवाय व्यक्तिगत ममताका सम्बन्ध भी पैदा हो गया हैं। जिन तीनोंके प्रति अपना ऋण चुकानेमें अिन तीनोंका चरित्र देनेकी नवजीवन संस्थाके सिवाय में अपनी निजी जिम्मेदारी भी मानता रहा हूं । सलि महादेवभाओीके पूवेचरितकी तरह भिस चरित्रके सिलसिलेमें भी केवल प्रकाशकका औपचारिक निवेदन करनेके बजाय यह व्यक्तिगत निवेदन करनेका मेंने साहस किया हैं। सरदार वललभभाओ पटेलके लिओ गुजराती बोलनेवाले लोगोंमें गहरा प्रेम हैं। साथ ही भारतकी अन्य भाषायें बोलनेवाले लोग भी आअनका चरित्र जाननेको भिच्छा करे यह स्वाभाविक है। यह्‌ बात ध्यानमें रखकर भिस चरित्रका हिन्दीमें और भारतकी अन्य भाषाओमें अनुवाद करानेका निर्चय किया गया हैँ। असमें से यह हिन्दी अनुवाद पाठकोंकी सेवामें अपस्थित कियाजा रहा ह। अितना कहकर भिस व्यक्तिगत ओर जरा विस्त॒त निवेदनको समाप्त करता हू । अहमदाबाद, १०-१०-५० जीवणजी डष्याभाओी देसाओ




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now