मेरा साहित्यिक जीवन | Mera Sahityik Jivan
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
9 MB
कुल पष्ठ :
290
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)पहला अध्याय
१
साठ वष पहले
गराम-जीवन में एक प्रकार की ममता होती हे, जो नागरिक
जीवन सें नदीं पायी जाती; एक प्रकार का स्नेह-वन्धन होता
है जो सव प्राणियों को--चाहे छोटे हों था बड़े- লাখি
रहता है । --प्रेमचन्द्
मेरे बचपन में गांव का जीवन--में गाव का हूँ | मैं गाव में
जन्मा हूँ और मेरे जीवन के पहले ढस वर्ष गाव में ही बीते। मेने
प्रारम्भिक शिक्षा गाव में ही पायी | एक साक्षरता की ही बात नहीं, सभा-
समाज मे उटनं वैठमे, वातचीन करने, शिष्टाचार, सथ्यता, सदाचार
आदि का भी ज॑, थ.ड़ा-वहूत जन प्राप्त करिया हे--उसकी बुनियाद
मेरे गाव में रुते ही पड़ी हैं। इस प्रकार मेरे निर्माण की नीव
गाव मे रखी गयी | मेरी पृष्ठभूमि गाव की है। मेरे बचपन के समय, अब
से साठ त्रप पहले, गाव करा जीवम केसा था, वहाँ की सामाजिक,
आर्थिक, सास्््कृतिक स्थिति केसी थी, इसका कुछ परिचय आगे दिया
जाता है|
गांव में सामाजिक भावना--गावों में सामाजिक एकता अब
भी कई बातो में नगरो से अविक है, मेरे बचपन के समय तो बहुत ही
थी | जाति बिरादरी की विशेष मिन्नता नहीं थी | एक-एक जाति के
अनेक भेदा उपमेदों की आदमी जानते ही न थे | टिन्दुओं की मुल्य
चार जातियों ही उन्हें विदित थीं--ब्राह्मण, লঙগী, বহৃ্থ গীত হা ।
शुद्रों से अस्वृश्यता बहुत कम मानी जाती थी, उनसे प्रायः अच्छा व्यव-
हार होता था, उनके दुख दर में दूसरों की वथेग्ट सहानुभूति रहती খী।
बोलचाल में उनके प्रति कोड हीनता करा भावना प्रकट नहीं की जाती
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