आचार्य रामचंद्र शुक्ल | Acharya Ramchandra Shukla
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
11 MB
कुल पष्ठ :
328
श्रेणी :
यदि इस पुस्तक की जानकारी में कोई त्रुटि है या फिर आपको इस पुस्तक से सम्बंधित कोई भी सुझाव अथवा शिकायत है तो उसे यहाँ दर्ज कर सकते हैं
लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)৯
आचार्य रामचंद्र शुक्ल
पुस्तकें तथा पत्र-पत्रिकाएँ बराबर पढ़ते रहते थे | बात यह ह कि शुक्छ जी
की भाँति हो इनके पिता भी वचपन से ही स्वतंत्र विचारों के थे, लकीर के कीर
न थे। इसी कारण जब जिस बात की उचित समझते थे -तब उसे कार्यान्वित
करते प्रे । यदी कारण दकि काटोतर मे चुक्छ जी के प्रभाव से वे सनातनी विचार
भारा घे संभ शरी.रमावतार शामा, रन्त -ुदगलानद् चरितप्वरी
~ নি
सुनाया करते थे । इसे सुनकर वे कहते-- मुझे भी कुछ ऐसा दी लग रहा हैं [?
इस प्रकार उनके विचारी में परिवर्तन हुआ | और अब उन्होंने मुसल्मानी डादी
को फ्रोच कट के रूप में रखा, पाजाम से पतद्धूल की ओर् आए । स्मरण यह
रखना है कि तब अँगरेजियत का प्रभाव भी कम न था। जो भी हो, इस विवरण
से झबक जी के वाह्य-काल में उनके चारों ओर छाई हुई साहिलिक तथा धार्मिक
परित्थितिद्ी का तो परिचय পান होता ही है, साथ ही यह भी ज्ञात होता है कि
तुखटसी के रामचरितमानस से उनका परिचय! आरम्भ से ही था, आगे
चलकर तुल्मी पर उनका कितना प्रेमा हुआ, यह विदित ही है। पर जिन
केशव से इनका परिचय” वाल्व-काल से ही था, उन केद्व के प्रति इनका
प्रेमः सविष्य में कभी नहीं दिखाई पड़ा ! ऊपर उद्युत गद्य-खंड से एक बात
का ज्ञान आर होता है, वद यद कि हिन्दी-साहित्य के आधुनिक युग के प्रथम
नेता सारतेदुहरिश्वन्द् से भी इनका परिचय बाल्य-जीवन से ही था। इसी
लेख में आगे टन््दोंने छिखा हैं--/जब्र उनकी ( पिता जी की ) बदली हमीरपुर
(জি হটাত तहसील से मिर्जापुर हुई तब मेरी अवस्था आठ वर्ष की थी)
उसके पहले ही मे भारतेंदु के संबंध में एक अपूर्व मधुर मावमा मेरे सन में
जगा ददा धः. सत्यद्रिच्छन्द्र नाटक के नवक राजा हरिलंद्र और
रयि दरव म म्रौ वदि काई भेद नहीं कर पाती थी। হিল
शंच्च ने दो की एक मिर्गी भावना एक
৫ 4 ५ किन
২ হর ৯২1 के अपूव माधुय का सचार मर
व्र दम्यः ५ পা प अधूम हः
দন সহসা) হন उदास भारतेंनु के प्रति शक्ल जी की बास्य-
अजय, न्म = पुः গলা का = व ¢
न (1 ह নিন টু হু মশা क्र परिचय {मन्तु ट 1 आगे सलकर
ইন্ধন का শু भारनेंद्र पर ऋ ५ ৪4০
५७ 25 এ মহ আজ त्या কলিজা छिखों। बल्ततः
পক সঠাতশুহী লা ফা बुर ही इनका प्रासन ४ टन <
ज 1 क द उका पिन्व ध्रेमदनः जो से हुआ,
{नो द हर নে নন সদন লগা হি ड
धव प्रेस््या मिद्री और प्रत्यक्ष
User Reviews
No Reviews | Add Yours...