निबन्ध-कुसुमावली | Nibandh - Kusumavali

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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निंबध-ठेखन-कला घटना को भी वह ऐसे ढंग से पाठकों के सामने रखे क्ि तें उससे भी ानन्दित हों । उदाहरणतया आपके सामने चैस्टेरंटनः का प्रस्ताव हैट के पीछे भागना मे से एक स्थल उद्ध्त किया जाता है। देखिए कि उसने इसमे साधारण से साधारण घरेलू विपत्तियों को दुर करने के लिये उपदेश नही दिया प्रत्युत हास्य विनोद मे किस प्रकार दुख भुला दिया है और दुखद घटनाओं मे भी आनंद का उद्देग किस तरह बहाया है-- सो ऐसी दुखद घटनाओं में जिनका मैंने ऊपर वर्णन किया है प्रत्येक वस्तु मन के आवेग पर आश्रित है। आप झपनी दैनिक घटनाओं में जो बहु प्रचलित और विशिष्ट झेशकारक हैं प्राय उन सब को इसी प्रकार जांच कर सकते हैं । उदाहरण में यह साधारणतः सब मानते हैं कि हैट के पीछे भागना बड़ा दुखदाई है। भला आप विचारे कि इस बात से सम्मानित तथा धार्मिक लोगों को क्यों दुख हो ? क्या इसी लिये दुख होना चाहिए कि भागना पड़ता है ओर भागने से वे थक जाते हैं? क्या लोग खेलों या मैचों मे इससे भी तेज नहीं भागते ? लोग एक चमड़े की सडी हुई गदी सी बाल के पीछे कितने शौक से भागते हैं तो कया कोमल रेशम के बने हुए बढ़िया हैट के पीछे भागना उससे भी गंदा है ? यदि यह कहा जाए कि हैट के पीछे भागने में सानहानि है पर मानहानि हास्यप्रद ही है न? निस्सन्देह यह बात हास्यप्रद अवश्य है कितु पुरुष भी तो हास्य-विनोद ही चाहता है और इसलिए वह बहुत से काम हास्यजनक ही करता रहता है जैसे भोजन खाना यह भी है कि जितने हास्यप्रद काम हैं वे प्राय सारे आवश्यक तौर से किये ज्ञाने वाले है। चलो प्रेस करना ही देख लो । सच पूछा जाए




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