विज्ञान पत्रिका | Vigyan Patrika

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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निदेशक प्रकाशन के पद से 1999 में जैसे ही रिटायर हुए यू. के. के कृषि और जैव विज्ञान से संबंधित अन्तर्राष्ट्रीय केन्द्र कैबी ने उन्हें लपक लिया और उन्हें आई.सी.ए.आर. तथा कैबी के सूचना प्रकाशन डाकृमेन्टेशन बायोसाइंस ट्रापिकल हेल्‍थ तथा भारत में अन्य वैज्ञानिक संस्थानों में समन्वय के कार्यों के लिए प्रोग्राम को-आर्डनिटर के पद पर रख लिया ताकि इन संस्थानों की परस्पर योजनाएँ समन्वित हो सकें। शर्माजी ने यह कार्य सफलतापूर्वक कर दिखाया। इस तरह से यदि मैं यह कहूँ कि शर्मा जी अपने सेवाभाव सौम्यता से और विज्ञान जैसे दुरूह विषयों को जंहाँ जैसे श्रोता हों अथवा पाठक हों उन्हीं की समझ और स्तर पर आकर रोचक कहानी की तरह विज्ञान को अभिव्यक्त करने की कला में पारंगत होकर अब केवल भारत के न रहकर अंतर्राष्ट्रीय स्तर के हो गये हैं जो हम सभी के लिए भी गौरव की बात है | शर्मा जी ने एक हजार से अधिक लोकप्रिय विज्ञान के प्रेस हेतु फीचर और 500 से अधिक रेडियो के लिए... और लगभग इतने टी.वी. के लिए प्रोग्राम किए हैं जिसमें विज्ञान के विविध क्षेत्रों का उपयोगी कवरेज रहा है। 9 जून 1963 को तत्कालीन धर्मयुग में शर्माजी का डी.एन.ए. पर पहला लोकप्रिय विज्ञान का लेख छपा था .. जो विज्ञान लेखन में ऐसी स्मरणीय घटना बना कि लगभग देश के सभी राष्ट्रीय अखबारों में और हिन्दी पत्रिकाओं में विज्ञान लेखन हेतु चेन रिएक्शन का आधार बन गया। वैसे भी यह लेख डी.एन.ए. पर नोबेल प्राइज मिलने वाली खोज पर आधारित था जिसे शर्मा जी ने घर-घर पहुँचा दिया था। चोटी के वैज्ञानिकों से साक्षात्कार विश्व स्वास्थ्य दिवस जैसे अवसरों नोबेल प्राइज स्तर की खोजों अंधविश्वासों के निवारणों राष्ट्रीय-अंतर्राष्ट्रीय वैज्ञानिक घटनाओं आदि पर शर्मा जी के लेख एवं प्रस्तुतियाँ आज भी स्मरणीय होती हैं। भारतीय विज्ञान लेखन संघ नई दिल्‍ली की विज्ञान फीचर सेवा का कार्य शर्मा जी ने 1989 और 1990 दो वर्षों तक किया। यह आई डी आर सी सहायता पर आधारित कार्य था। इसमें शर्मा जी ने पारिस्थितिकी व 2 1 वेड़ की डा० रमेश दत्त शर्मा सम्मान अंक स्वास्थ्य सफाई एवं भारत की दवाओं पर्यावरण प्रबंध ऊर्जा के वैकल्पिक स्रोत अंतरिक्ष न्यूक्लियर विज्ञान और कृषि आदि के क्षेत्र में सरल हिन्दी में ऐसे फीचर तैयार किये जो भारत के छोटे और मजझोले समाचारपत्रों में विज्ञान के जन साधारण पाठकों हेतु लोकप्रिय हो गये जिससे भारत के कस्बों छोटे शहरों और ग्रामों के विज्ञान प्रसार के प्रति जनमानस में अभिरुचि जागृत हो गयी। प्रेस इंन्फारमेशन ब्यूरो पी.ठी.आई. सम्प्रेषण ई.ई.जी. आदि की लोकप्रिय विज्ञान फीचर सेवाओं के लिए शर्मा जी ने समय समय पर विशेष कार्य किया है। हिन्दी अंग्रेजी और अन्य भारतीय भाषाओं के लिए रंगीन पाजिटिव पेज सेवा का सूत्रपात शर्मा जी ने किया जिससे विज्ञान और प्रौद्योगिकी के लोकप्रियकरण में मीडिया को सहजता के साथ बड़ा अच्छा लाभ हुआ। इसका अनुमान इसी से लगाया जा सकता है कि केवल हिन्दी भाषा के पाठकों की संख्या ही इस सेवा हेतु 300 लाख से अधिक हो गयी थी जो अपने आप में एक मानक है। अंतर्राष्ट्रीय विज्ञान सम्मेलनों के मीडिया कवरेज हेतु शर्मा जी ने 50 से अधिक वर्कशाप सिम्पोजियम आदि में भाग लिया है और वे प्रायः अन्तर्राष्ट्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी कांग्रेसों की मीडिया समितियों के संयोजक अथवा अध्यक्ष रहे हैं। वे इनके प्रचुर कवरेज हेतु प्रेस रेडियो टी.वी. तथा बुलेटिनों की सामग्रियों की योजना एवं कार्यन्वयन का कार्य सफलतापूर्वक करते रहे हैं। युवा लेखकों को आकर्षित और प्रेरित करने. का शर्मा जी में अद्वितीय गुण है। वे अपने 40 वर्ष के लेखन के अनुभवों में से चुनिंदा घटनाएँ एवं गुर निकाल कर युवाओं को प्रोत्साहित करने में माहिर हैं। तभी तो राष्ट्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी संचार परिषद एन.सी.एस.टी.सी. की राष्ट्रीय कार्यशालाओं में शर्मा जी प्रमुख स्रोत विशेषज्ञ के रूप में आमंत्रित किये जाते रहे हैं। इन सम्मेलनों में भोपाल जबलपुर रायपुर ग्वालियर लखनऊ शिमला चम्बा लुधियाना और इलाहाबाद की कार्यशालाओं में शर्मा जी की प्रस्तुतियों ने युवा लेखकों की एक नई पीढ़ी तैयार होने में योगदान दिया है। शेष पृष्ठ 15 पर सिंतम्बर/2003




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