भारत किधर | Bharat Kidhar

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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आज को स्थिति ५. लेकिन इन कसौटियों में भारंत विजयी रहा। आज भी यहाँ लोकतंत्र कायम है, भले ही वह औपचारिक एवं त्रुटिपू्णं क्यों न हो, जब कि: दुनिया के कई राष्ट्रों ने पिछले ३५ सालों में लोकतंत्र को छोड़ दिया है। लेकिन इन बड़ी-बड़ी उपलब्धियों के बावजूद देश की विशालता एवं विविधता के बाद भी आज भारतीय हृत्ताश और निराश हैं। सारे प्रश्न ज्यों के त्यों खड़े हैं और प्रगति नहीं हो रही है। उलटे हमारा नैतिक ह्ास हो रहा है। हम उलटी दिशा में बढ़ रहे हैं। ऐसा क्यों लग रहा है ? जिधर देखो उधर संकट ही संकट क्‍यों नजर आ रहा है ? मोर्चा नागरिक अधिकारों का हो या जनसंख्या-वद्धि का, गरीबी-बेरोजगारी घटाने का हो या भ्रष्ट चार का, शिक्षा की समस्या लोजिये या शराबबन्दी को महँगाई का प्रइन लीजिये या विदेशी मुद्रा का, हरिजन-आदिवासी की उन्नति का सवाल लीजिये या साम्प्रदायिक दंगों का, महिलाओं की दशा लीजिये या असुरक्षा को हालत पर दृष्टि डालिये--भारत आज संकट में क्यों है ? सामान्य भारतोय आज क्‍यों सोया-सोया-सा नजर आ रहा है ? डन सवालों को समझना और इनके जवाब पाना जरूरी हो गया है। ० २. आज को स्थिति राजनोतिक एवं आ्थिक सत्ता का केंन्द्रीकरण भारत आज क़िकतंव्यविमढ है।. भारत ने. ..क़ल्याणकारी राज्य का रास्ता पकड़: ॥ राज्य सबका भला करेगा, इसलिए झक्तिशाली-राज्य निर्माण करना जरूरी है, यह विचार দলক্ম,। अतः सत्ता का. केन्द्रीकरण किया गया । सभी राजत्तीतिक ढ़छों ने चुनाव के दौरान डंके की. चोट प्र




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