मगध ( इतिहास और संस्कृति ) | Magad (Itihas aur sanskrti)
श्रेणी : इतिहास / History
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
2 MB
कुल पष्ठ :
74
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)( ६) `
जरासन्धं ने मेटे.तगड़े मीम के साथ मल्ल युद्ध करना परन्द् कर
छापने चीर-मानस का परिचय दिया। चौदद दिन युद्ध हुआ । जससन्ध
बूढ़ा था। थक गया था । হাঁ रहा था। ऐसी परित्थिति का রা
कर युवक मीम ने श्रीकृष्ण का इशारा पाकर वर जरासन्ध को मा
डाला । नीतिहीन जरासन्ध का बल निवल सिद्ध हरा । जरासन्ध के वाद
उसका पुत्र सहदेव मगध का राजा हुआ ।
विम्बिसार का सगध रा त
कुछ विद्वानों का मत है कि बाहद्रथ वंश का श्रन्तिम राजां रिपुजय
था। इसका पुलिक नामक एक अमात्य था। पुललिक ने पड्यन् करके
रिपुंजय फो मार डाला और अपने बालक नामक पुत्र को मगध की गद्दीपर
'बैठाया । -इस प्रकार मगध के सिंहासन से सदैव के लिये बाह्य वंश का
अन्त हो गया । पर बालक का शासन ठीक से स्थापित न हो सका । मगध
के ज्ञत्रियों की श्रेशी ने वाल्क के शासन को स्वीकार नहीं किया । उस काल
में ज्षत्रियों की, जिनमें अविकतर सैनिक होते थे, अनेक ऐसी श्रेणियाँ थीं,
-जिनका संगठन राज्य से सर्वथा स्वतन्त्र होता थां और जिनका
सहयोग प्राप्त करना राजा के लिये परम आवश्यक माना गया है। मगध
के ज्ञत्रिय श्रेणियों ने बालक के राज्य का विरोध किया । भट्टिय नामक
एक सरदार ने मगध मे विद्रोह कराकर राज्य सिंहासन पर अधिकार कर
वालके को मरा डला । पर भश्ठिय स्वयं राज्य सिंहासन पर नहीं बैठा |
उसने अपने 'लड़के विम्बिसार को सगध के सिंहासन पर वैटाया । भद्धिय
'सनिक दलों का नेता ही লনা रहा। बाद में शायद विम्बिसार मगध के
राजा के साथ सैनिक दलों का नेता भी हो गया। इसीलिए उ श्रेणिक
'विम्बिसार भी कहते हैं। |
„` यदींसे मगध में नागेश का शासन स्थापित होता है। कुछ
दाना कामत हे कि मगध मे सवसे पटला नाग साजा शशुनाग ३ ।
पर कुछ लोग इसे नहीं मानते | हमारा काम इस विवाद में पड़ना नहीं
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