तत्त्व बोध | Tatvabodh
श्रेणी : धार्मिक / Religious, पौराणिक / Mythological
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
7 MB
कुल पष्ठ :
136
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)८ तेत्वबोध-दीका ।
नदा क्योकि आत्मा ज्ञानस्वरूप है॥ केवल इतनाही हे
कि जैसे वद्न स्वयंही सफेदरूप हे परंतु मटके संबन्धसे
उसकी सफेदी मालूम नहीं होती ओर मसाछेकरिके
मल दूर होनेसे सुफेदी स्वयंही प्रगट हो जाती है इसलिये
मसालेकी आवश्यकता हे ॥ इसी प्रकार आत्मा ज्ञान-
स्वरूप हे परंतु अविया करके अज्ञानी प्रतीत होता है
ओर अवियाका नाश विवेकादिक साधनासे होता दै
इसलिये साधनोंकी अवश्य अपेक्षा हे वे साधन ये हें
तिनकों श्रवण करो ॥ ४ ॥ २॥
॥ अथ चार साधन वर्णन ॥
साधनचतुष्टय [कम् ॥ नत्यानत्यव
स्तुविवेकः ॥ १॥ इहास॒घ्राथफट्मोग
विरागः॥ २॥ शमादिषटूसंपात्तेः ॥ ३ ॥
मुमक्ष॒त्व॑ चेति ॥४ ॥ ३ ॥
टीका ॥ प्रश्न ॥ साधन चार कोनसे हैं सो कहो ॥
उत्तर॥ नित्य ओर अनित्य वस्तुका नो यथांदत
ज्ञान तिसकों विवेक कहते हैं वही प्रथम साधन है॥१॥
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