अजात शत्रु | Ajaat Shatru
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
3 MB
कुल पष्ठ :
166
श्रेणी :
हमें इस पुस्तक की श्रेणी ज्ञात नहीं है |आप कमेन्ट में श्रेणी सुझा सकते हैं |
यदि इस पुस्तक की जानकारी में कोई त्रुटि है या फिर आपको इस पुस्तक से सम्बंधित कोई भी सुझाव अथवा शिकायत है तो उसे यहाँ दर्ज कर सकते हैं
लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
No Information available about श्री कृष्णदास जी - Shree Krishndas Jee
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)कथा-प्रसंग
वर्णन भी वौद्धों की प्राचीन कथाओं से यहुत मिलता है । विम्वसार की
बढ़ी रानो कोशला कोशल-नरेश प्रसेनजित् की यहन थी । वच्स-राष्ट्र की
राजधानी कौशांबी थी, जिसका खँँदहर জিনতা আলা ( करुई-सब-डिब्री-
जन > मँ यञ्ुना के किनारे कोसम् नाम से प्रसिद्ध है ।
उदयन,
इसी कोशांबी का राजा था। इसने मगधराज थोर अवन्ती-नरेश,
दोनों की राजकुमारियों से चिचाह क्रिया था। भारत के सहस्तरस्जनी-
धरिप्न 'कथ-सरित्सागर! का.नायक इसी का पुत्र नरवाहनदत्त है ।
बुहत्कथा ( कथा-सरित्सागर ) के आदि आचाये वररुचि हैं, जो
कोशांबी में उत्पन्न हुए थे, और जिन्न मगध मे नन्द का सन्नित्व किया ।
डद॒यन के समकाछीन अजातशत्नरु के वाद उदयाश्व, नंद्वद्धन और महा-*
नन्द नाम के तीन राजा मगध के सिंहासन पर बेंठे । श्रद्धा के गर्भ से
उध्पन, महानन्द के पुत्र, महापद्म ने ननन््दु-वंश की नींव डाली । इसके बाद
सुमास्य आदि ४ नंदों ने शासन किया ( विष्णु पुराण, ४ अंश ) 1 किसी
के मत से महानंद के वाद् नव नन्दोंनेराज्य किया; इसी नव नन्दः
` वाक्य के दौ अर्थं हुए--नव न्द् ( नवीन नन्द् ), तथा महापश्न मौर
` सुमाल्य आदि ९ नन्द् । इनका रज्यि-कार, विष्णुपुराण के अनुसार १००
` वं । नन्द् के पसे राजां का राज्य-काट भी, पुराणों के भनुसार,
` खगभग १०० चर्ष होता है। हुंढि ने सुद्राराक्चषस के उपोद्धात मे अन्तिम
` नन्द का नाम धननन्द लिखा है । इसके वादं योगानन्द का मन्त्री वर
„
User Reviews
No Reviews | Add Yours...