हंसनाद | Hansanad
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
5 MB
कुल पष्ठ :
264
श्रेणी :
यदि इस पुस्तक की जानकारी में कोई त्रुटि है या फिर आपको इस पुस्तक से सम्बंधित कोई भी सुझाव अथवा शिकायत है तो उसे यहाँ दर्ज कर सकते हैं
लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
No Information available about चन्द्रदत्त शास्त्री - Chandradatt Shastri
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)इसनाद ও
অন भ्रातांगण विचार कर देखेकि फारसी के भायः सव पद् स
रकतही स बने देखपड्तहें इसौकारण मुझको फारसी से संस्कृत चना
-कर देखरादने में कुछ भी परिश्रम नहीं हुआ और इनके অঙ্গ में भी
-मिन्नता। नहा हुई, तालच्यांर्थ दोनों का एकह्ी रहा-- यदि जौ चद
तो आप यथै मी पुनर्हनिय-- उधर फारसीवाले द्वोनों पदों का
अयथे है कि ५ है भाई ! जहाव जर्थावु चचार् किसी के साथ नहीं रहता
इसकारण अपने दिल को उस सेसार उत्तन्नकरनेवाले ईश्बर के साथ
बांधों और बस ” ( फारसीवाले इसको सपकेग ) भत्र उसी का जा
संस्कृत कियागयाह उपक! गथ मी घुनिये ---
ससहृत में--- [ ज्ाह्मम* ] जहां वार २ जावे अर्थात भहां पाणी
वृत् स[करर् जन्गत्तं मर्त হা লালা सा { ए वारादर ) हु चारा
से आदर कियजञानवाले अथांत् हे उत्तमवीर ( ने मानद३ ) नहीं मान-
देने ( चाकस्य ) किसी भी पुरुष का, तालस्वे यह कि ज-
हानकी सम्पत्ति क्रिसी को मानदनेवाली नहींदोती इृसक्िंय कहा
ই कि हे भाई जहान उसी के साथ नहीं रहता इमकारण (টনি
धर ) घिन वारण कगे क्योंक्रि ( जाहान ) यह अदान { सपण)
उस त्रश्म के साथ ( बद्ध: ) वंधाहुआड़े ओ ( बशः ) उसी के ब-
शीभृत है । देखिये पद के पद और उनके तालयर्थि भी श्षगीप २
समनी र्ट् ॥
फिर तीसरे पद का फारसी में अर्थ हैं ( छु्स सुपदि ) पूर्य
की मालाकार मूर्ति ६ दरसियाही शुद्ध ) श्यागता में चन्नीगई धातु
# जतत नादात यन्ति यद्गन्ताव गदयथकात् शा
धातोः [ करणाधरिकरण याश्च ] इति सुत्रण अशिकरणे ल्युट् प्रत्यय
, छनें [ युवोरनाको | इति बृद्रेण युस्थाने अनादद कत ( जाहान )
হাবিব निष्मचस |
User Reviews
No Reviews | Add Yours...