वोल्गा से गंगा | Volga Se Ganga

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Volga Se Ganga   by राहुल सांकृत्यायन - Rahul Sankratyayan

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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निशा श्र को मारते । नदियों में भी मछुलियाँ थीं श्रौर इस वोल्गाके ऊपरी भाग के निवास्योंके जाल श्राज-कल कभी खाली वादर नहीं आते थे | रात में अब भी सर्दी थी किन दिन गर्म था श्रौर निशा-परेवार सा का नाम निशा श्राज-कल कई दूसरे परिवारोंके साथ वोल्गा के तटपर पड़ा हुआ था। निशाकी भाँतिद्दी दूसरे-परिवारोंपर भी उनकी माताझोंका शासन था पिता नहीं । वस्तुतः वां किसका पिता कौन है यदद बतलाना श्रसम्मव था । निशाफे श्राठ पुत्रियाँ और छुः पुत्र पैदा हुए जिनमें चार लड़कियाँ श्रौर तीन पुत्र अब भी उसकी प्चपन वर्षकी झवस्थाम मौजूद हैं । इनके निशा-सन्तान दोनेमे सन्देह नहीं क्योंकि इसके लिए प्रसवका साइप सौजुद है किन्ठु उनका बाप कौन है इसे वताना संभव नही है । निशाके पहले जब उसकी मा-- चूढी दादी--का राज्य था तब दूढ़ी दादी--उस वक़्त प्रौडा के कितने ही भाई-पति कितने ही पुत्र-पति थे जिन्होंने कितनी दी बारे निशाके साथ नाचकर गाकर उतके प्रेमका पात्र बननेमे सफलता पाई थी फिर स्य रानी बन जानेपर निशाकी निरन्तर बदलती प्रेमाकाछ्ा- को उसके भाई या याने पुत्र छुकरानेकी हिम्मत नहीं रखते थे । इसी- लिए निशाकी जीवित सातों सन्तानोंमे किवका कोन बाय है यह कहना झसभव है। निशाके परिवारमें ऋाज वही सबसे यड़ी-वूढी--श्रौर प्रभुताशालिनी भी--दै यद्यपि यह प्रभुना देर तक रहनेवाली नही है । चर्ष-दो वर्पमे वदद स्वयं बूढ़ी दादी वननेवाली है श्रौर तब सबसे वलिए्ट निशा-पु्री लेखा का राज्य द्ोनेवाला है । उस वक़्त लेखाकी बदनोंका उससे कड़ा ज़रूर होगा । जहाँ हर खाल परिवारके कुछ झादमियों को भेड़िये या चीतेके जड़ों सालूके पंजों वैज्ञके सींगों बोल्गाकी बाढ़ोंकी सेंड चढ़ना है बढाँ परिवारकों क्षीण होनेसे बचाना हर रानी माताका कत्तंब्य है । तो भी ऐसा होता झाया है हम जानते हैं कि लेखांकी वहनोंमेंसे एक या दो झवश्य स्वतंत्र परिवार क़ायम करनेमे




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