आकृति से रोगी की पहचान | Akriti Se Rogi Ki Pahachan

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Akriti Se Rogi Ki Pachan by लुई कूनेको - Lui Kooneko

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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आकृतिसे रोगकी प्रहचान विषय-प्रवेश आइतिसे रोगकी फ्हचान अथवा मुखाक़ृति-विज्ञान नवीन चिकित्साकी.... रोग-निर्णायक--निदान-पद्धति है । नवीन चिकित्साकें सिद्धातोकों प्रणतया पचा पानेवाले ही. इस नइ निदान-विधिकों पूरी तरह समक सकेंगे 1 वे सिद्धात नवीन चिकित्सा पुस्तकको पढकर समभे जा सकते ह। नीचे वे सक्षेपमें दिये जा रहे हे-- १ रोगका कारण एक ही हैं । शक्‍लें उसकी भिन्न भिन्न हो सकती हूं उसका ज़ोर कम-ज्यादा हो सकता है । शरीरके भीतरी भागमें रोग और उसके बाहर प्रकट होनेवाले लक्षण पैतृक प्रभावों उम्र पेशा निवास खुराक जलवायु रहन-सहनके ढग आदिपर निभर करते है । २ दरीरम दीप-सचय होनेपर रोग होता है। पहले-पहल यह दोप पेड के निकटस्थ भागोमे एकन होता हूँ । वहासे वह शरीर- के विभिन्न भागोमें जाता है--खासकर गर्दन और सिरमे । इस विकारी पदाथ--दोप-सचय--के कारण दारीरकी दावलमें फक सस्ता साहित्य मण्डल नई दिल्‍ली द्वारा प्रकाशित 1 मूल्य सनिल्द सढ़ाई रुपया ।




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