चतुर्भुज दास | Chaturbhujdaas
लेखक :
कंठमणि शास्त्री - Kanthmani Shastri,
गोकुलानंद शर्मा - Gokulanand Sharma,
ब्रजभूषण शर्मा - Brajbhushan Sharma
गोकुलानंद शर्मा - Gokulanand Sharma,
ब्रजभूषण शर्मा - Brajbhushan Sharma
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
24 MB
कुल पष्ठ :
214
श्रेणी :
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कंठमणि शास्त्री - Kanthmani Shastri
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गोकुलानंद शर्मा - Gokulanand Sharma
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ब्रजभूषण शर्मा - Brajbhushan Sharma
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)१३
इनके ४९ पद एवं समेया के पद नामक एक ग्रन्थ हमने देखा है। इनका एक
ग्रन्थ ' द्वादशा यहा ' नामक ओर देखने में आया है, जिसमें से. १४७६०
लिखा है । जान पडता हे यह पमय अशुद्ध है। संभव हैं यद्द সন্য किसी दूसरे
चतुर्भुगदास का हो । * हित जू की मंगल ” नामक इनका एक ओर ग्रन्थ
खोज में मिला है
( २८० ) स्वामी चतुभुजदासजी-अश्छाप वाले इसी नाम के कवि से पृथक्
हैं। उनका समय १६२५ था और इनका से, १६८४ | इनके बनाए हुए (१)
धमेविचार, ( २) सिच्छसार (३) दितउपदेश (४ ) पतितपावन ( ५ )
मोहनी जस ( ६ ) अनन्य भजन (७ ) राधाप्रताप (८) मंगलरूसार ( ९ )
विसुख सुखभंजन नामक ग्रन्थ हमने उत्रपुर में देखे हैं। 'द्वादशयदा भी
इन्ही की एक रचना है। प्र, त्रे, खोज से इनके एक ओर ग्रन्थ ' हित कौ
मंगल '* का पता चलता है ”
“ ( १०२२/२ ) चतुभुजदास कायस्थ । अन्थ-मचुमालती की कथा।
रचनाकाछ से, १८३७ के पूर्व [ खोज १९०२ ] ??
प्रस्तुत उद्धरणों में घिशिष्ट शब्दों के परस्पर विरुद्ध-वर्णन पर ध्यान
देने से विद्वान लेखक की भपश्तम्बद्ध उक्तियों का स्वये पता चल जाता है।
, शमी कु दिन पूर्व पं, कालिकाप्रसाद दीक्षित ' कुधुमाकर * ने ° शङ्ख
अभिनन्दन ग्रन्थ ? (सा. खे, पत्र १७, १८ ) में मध्यप्रदेश के दिन्दी
कवियों का परिचय देते हुए इसी त्रुटि को क्षपनी गवेषणा बना डाछा है ।
न्होनि लिखा है :-
“ इनमें से कंभनदास ओर चतुर्भुजदास गढा ( जबलपुर ) के निवासी थे |
चतुर्भुजदास कुंभनदासजी के पुत्र थे । 'द्वादशयश ” * भक्ति प्रताप ' और * हितजू
कौ मेण ? इनके मुख्य अन्थ हैँ। इनके सम्बन्ध में नाभादास ने अपने
“ भक्तमाल ' में लिखा हैं :---
गायो भक्त प्रताप सबहि दास्न्त कहायो।
राधा অন্ন भजन अनन्यता वगे बटायो॥
मुरलीधर की छाप कवित अतिदही লিহৃত্তা।
भक्तन कौ पद-रेणु बहै धारा सिर-भूषण ॥
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