मखमली जूती | Makhmali Jooti
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लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
4 MB
कुल पष्ठ :
130
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
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यह तो आप जान ही गये कि भेरी ससुराल बरेली में है । इतना
और बता दूँ कि मेरे ससुर जेलर हैं । हैं तो नहीं, रह चुके हैं, पर जीवन
में एक बार जो जैलर हुआ वह हमेशा के लिए जेलर रह जाता है ।
जेलर की बेटी से में शादी करने के लिए. इसलिए तैयार हो गया कि
कभी बड़े घर जाना पढ़े तो बढ़े घर की बेटी! काम झायगेगी। पर मेर/
दुर्भाग्य कि शादी के बाद ही श्वसुर साइब ने पेंशन दो ली ओर इस
बीच कांग्रेस ने भी राशकार से सुलह कर ली और मुझे जेल जाने की
और ससुर साहब की मेहमाननथा भी का छुप्फ उठाने का मौका नहीं
दिया गया |
शादी के बाद मुझे दो बड़ी बातें मालूग हुद'। एक तो यह कि
मेरे समुर साहब कट्टर श्राय॑समाजी है, दूरे मेरे समुर साइब के जेलर
स्वरूप का तनिक भी प्रभाव मेरी श्रीमती जी पर नहीं पड़ा है। मेरी
श्रीमती जी जेलर होती तो क्या होता, ईस सम्बन्ध की सारी कल्पनाएँ
व्यथं सिद्ध हुई ।
असुर साहब के निभन््त्रण में तो नहीं, पर गीता और गायभी के
नाभ में जरूर कुछ आकर्षण था, जिससे खिंचा मैं ठीक दाइम परे
सचे स्टेशन चसा गथा | पंजाब मेल पकड़ी, रास्ते में कोई हुघढना
नहीं हुई और में बरेलो पहुँच गया ।
दरबाओं पर ही साक्षी नें और परदे की झट से भीमती णी के
मुर्कराते हुए. चेहरे ने जो स्वागत किया तो रास्ते की सारी शकावंड
४ गयी और मस्तिष्क में यह भावनां अर करे गयी कि से स्वर
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। ধ্জীজাখী नमस्ते! का जवाब भी में न दे पाया भा कि सामने
षर छाय फो जहा पाया | छम श्ना गवे लेसे कोई
इमनि था गया हो |
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