मनुष्य जीवन की उपयोगिता | Manushya Jeevan Ki Upyogita
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
5.57 MB
कुल पष्ठ :
120
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)नुष्य जीवन की उपयोगिता
पूर्वाद्ध
हि स्वाण
फ्टला खरड
व्यक्तिगत मानवी कार्य
बनावट जिद
पहला प्रकरण
कारयरयाकार्य विचार
परमेश्वर ने मनुष्य को सवश्रेष्ठ बनाया है । उसने उसको विचार-
शक्ति दी है । उसका कर्तव्य है कि वह इस विचार-शक्ति से काम ले ।
यदि नहीं लेता है तो उसमें श्री: एक साधारण पशु में कोई श्रन्तर
नहीं है ।
दो-चार कोस की यात्रा करने के लिये हम कैसे-केसे बँघान बाँधते
हैं। कौन-कौन हमारे साथ चलेगा; रास्ता खराब तो नहीं है; खाने-पीने
का सामान तो ठीक है, कुल कितना खर्च पढ़ेगा; इन सच बातों की हमें
कितनी चिन्ता रहती है । जब इतनी छोटी यात्रा के लिये इतनी भंकट
करनी पड़ती है तो इस बड़ी संसार यात्रा के लिये कितनी बड़ी संकट
की आवश्यकता है, इसका अनुमान पाठक स्वयं कर सकते हैं ।
ऐ. मनुष्य, जरा सोचो तो सही, तू. इस संसार में किस वास्ते पैदा
किया गया दै । श्रपनी शक्तियों का ख्याल कर । अपनी झावश्यकताओं
पर विचार कर | तू श्रपने कर्तव्य आप से आप समझ जायगा और
'विज्न-वाधाओं से बचा रहेगा ।
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