मनुष्य जीवन की उपयोगिता | Manushya Jeevan Ki Upyogita

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Manushya Jeevan Ki Upyogita by हरि राम झा - Hari Ram Jha

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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नुष्य जीवन की उपयोगिता पूर्वाद्ध हि स्वाण फ्टला खरड व्यक्तिगत मानवी कार्य बनावट जिद पहला प्रकरण कारयरयाकार्य विचार परमेश्वर ने मनुष्य को सवश्रेष्ठ बनाया है । उसने उसको विचार- शक्ति दी है । उसका कर्तव्य है कि वह इस विचार-शक्ति से काम ले । यदि नहीं लेता है तो उसमें श्री: एक साधारण पशु में कोई श्रन्तर नहीं है । दो-चार कोस की यात्रा करने के लिये हम कैसे-केसे बँघान बाँधते हैं। कौन-कौन हमारे साथ चलेगा; रास्ता खराब तो नहीं है; खाने-पीने का सामान तो ठीक है, कुल कितना खर्च पढ़ेगा; इन सच बातों की हमें कितनी चिन्ता रहती है । जब इतनी छोटी यात्रा के लिये इतनी भंकट करनी पड़ती है तो इस बड़ी संसार यात्रा के लिये कितनी बड़ी संकट की आवश्यकता है, इसका अनुमान पाठक स्वयं कर सकते हैं । ऐ. मनुष्य, जरा सोचो तो सही, तू. इस संसार में किस वास्ते पैदा किया गया दै । श्रपनी शक्तियों का ख्याल कर । अपनी झावश्यकताओं पर विचार कर | तू श्रपने कर्तव्य आप से आप समझ जायगा और 'विज्न-वाधाओं से बचा रहेगा ।




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