त्रिपुरी का इतिहस | Tripuri Ka Itihas
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
7 MB
कुल पष्ठ :
290
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
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उपल प्रयत्न खम वीर तनय. नरसिंह देव सुर गुरु सेवी ॥६२॥
जयसिंह भ्रात जिसके विजयो, सौमित्रि राम सम प्रोतिवान 1
शौर्योज्वल सव भूपति जिनकी-सेवां रत क्रते कीतिंगान ॥१३॥
गुजर तन जजेर ज्ञीण तुरुक-भागे त्रासित हो तृपति शेप ।
भूत्ते क तल निज काम-फेलि, जव छुना विजय राञ्याभिपेक ॥१४।
इन्द्रमभा हिमहार गुच्छ कौ, निन्दित करती कीतिं लता)
चन्दन सम शीत्तल संखोग मे, हई चियोगिनि दूर गता ॥१५॥
सिहासन-मोलि-रत्न-मखि जो, विक्रमादित्य प्रख्यात नाम |
निश्वल चिन स्वगेवाच्छनायुत, निज मुजवल जीता धरा धाम ॥१॥
( शिला श्रौर ताग्रलेखो के आधार पर )
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