भारत-इंग्लैंड और रूस का आर्थिक विकास | Economic Development Of India, England & Russia

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Economic Development Of India, England & Russia by गोपालकृष्ण गुप्ता - Gopalkrishna Gupta

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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१२ (१) লন क्षेत में इद्ध करने के लिए वेङधार भूमि तथा न्यं चीर सषकोके गिरः हठ लगाये बायेंगे। (२) श्रीद्योगिस महत्व वाले वनों को विशेष रूप से लगाया जायगा; चे यानीन, दियामलाई की लकड़ी के इत्त आदि । (३) बनी के प्रदेशों में यातायात के साधन मुनम किये जायेंगे, जिसमे लकड़ी सुग- म्रतापूनक निकाली था सके । (४) केन्य वन यमन यट बताएं कि प्रत्ेक राग्य में बर्नों के नीचे किठना क्षेतकल होना चाहिये । वन उठी समय নাহ को श्रा देनो আহিহ, ল্ ঈ श्रावय से ब्रधिक हों था काटे गए क्षेत्र के बराबर नये ज्ञेत्र पर वन लगाए, जा सके । (४) बर्मीदारी की समाप्ति के पशच/त्‌ जो राप्प सरकारों के पास ४ करोड़ एकड़ भूमि आ गई है, उसमें अ्धिराश भूमि पर चर्नों वा पुत/स्‍्थापन बिया बाप । (५) युद्ध की आ्रावश्यतताश्रों की पूर्ति बदाने के लिए. अधिक काटे गए वनों को पिर से लगाना चाहिए | (७) जिन स्थानो पर पिदर कटाव श्रधि है वहा वृत्‌ लतायै वाये । (८) लकड़ो डी पूर्ति रदाये के लिए काम में द श्राने वालो लकडियों का राखय- निह दग से शोघन किया ज्ञाय (६) विभिन गाँवों में उद्यानों का विद्नस किया जाय | (१०) राज्यों की नीतियों में सामंजस्य करने के लिए राज्य सरकार वो प्रतियर्य अपनी योजना वनों के मद्गानिरीह्त के पास मेजनी चाद्िए तथा समय समय पर रा्यों के अ्रधिवारियों का उम्मेलन बुलाना चादिए | + इस योजनाकाच में ७४,००० एक्ट गूमि पर नये वन लगाये गए तथा ३,७०० एकड प्रतिवर्ष को दर से दियासलाई की लक्ड्ठी के पेड़ लयाए गए. औ्रौर ३,००० मील लम्बी धन की ष्म की बनाया गया । २ करोड़ एक्ड्र से भी अधिक वनभूमि वो सरकार मे अपने नियन्त्रण में लिया । राजस्थान के रेत की श्रागे बढने से रोगने के लिए सन्‌ १६४२ में एक मस्स्‍्यतर बनारोपण तथा थोध केन्द्र छोषपुर पे पाठ छीचा | डिवीय पोजनामें वन कार्यम यनः विन्न फै निष ट्‌ २७ बशेषट ए? रवे मष, विने निम्न बऋवदृम समहु, किए गये +-- हे (१) ३८० बाव एरूद पर के वर्नों वा খুন स्थापन क्रिया ज्ायगा, चिझसे बन-स्षेत में वृद्धि दोगी । (२) च्यापारिक महत्व के वर्नों को डिश्येप रूप हे प्रोत्साहिद द्विया धयया 1 ८०.०००




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