नागरिक शिक्षा | Nagrik Shiksha

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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(८ ॐ; ) गत हित को नगर और देश के बड़े द्वित के सम्मुख गोण सममे, तो यही नहीं, कि उस शिक्षा का उद्देश्य नष्ट द्वो जाता है, बरन्‌ वह, शिक्षा के अभाव से भो, अधिक भयंकर छिद्ध द्ोती हे। अध्यापक का उत्तरदायिल्र महान है । यद उसका काम है कि वह अपने शिष्यों के लिए इस विषय को मनोरजक बनाये। विद्यर्थियों को नागरिकता का विचार, कर्तव्यों और अधिकारों का युक्ष्म ठिद्धान्तों के वर्णन मात्र से नहीं दिया जा सकता; इसके लिए परिवार और विद्यालय के जीवन के स्थूल उदाहरणों की आवश्यकता हे | परिवार और विद्यालय के जीवन में नगर शोर राज्य के जीवन सम्बन्धी बहुतसे श्रच्छे दृष्टान्त मिलते हैं, और उनके, उद्दादरणों से विद्यार्थी नगर और राज्य के जीवन की वास्तविकता श्रच्छो तरह समकक सकते हैं | नागरिकता के उत्तरदायित्व को श्रच्छो तरह समभनेने से विद्यार्थियों के नेतिक भावों की वृद्धि होती है, शर इससे वे विद्यालय के सामुहिक कार्यों में श्रधिक दिलचध्यी से भाग ले छडते हैं । इस प्रकार नागरिक विषय के श्रध्ययन से व्यक्तियों की तामाजिक ओर नेतिक चेतनता का विकार होता है, ओर यही सब्र शिक्षा का वास्तविक उद्येश्य है। इस पुस्तक में इस विषय का ऐसी उच्तमता से वर्णन किया गया है कि यह श्रौधत दर्जे के विद्यालयों के विद्यार्थियों की समझ में श्रासानी से जाय | अतः इसका लेखक विशेषतया अध्यायकों के धन्यवाद का अधिकारी है, जिनका शिक्षा-कार्य उसने सुगम कर दिया हे ।




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