प्रेमचन्द एक विवेचना | Premachand Ek Vivechana
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
4 MB
कुल पष्ठ :
194
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)पूवे पीठिका १४
ইলা था, लित्तमे समस्त देशम मे निरन्त राजनैतिक दलचल
बनी रही । उस समय जनता को आगे बढ़ाने वाला एक नया
ही जोश दिखाई दिया। तत्कालीन विभिन्न दलों में एक नई
चेतना विद्यमान थी। इसका प्रमाण मजदूर, फिसान और
मध्यवगौ के युवकों में मिल सकता था হুল समय ट्रेंड यूनियन
आन्दोलन जोर पकड़ रहा था। ट्रेंड यूनियन कांग्र स पहले से
ही एक दृढ़ और प्रतिनिधित्व करने वाली संस्था थी। इसकी
विचारधारा अ्रधिकाधिक लड़ाकू और अतिवादी होती जा रही
थी । किसान भी आन्दोलित ये। युक्तप्रान्त श्रौर गुजरात में
यह, विशेपरूप से उल्लेखनीय घटना थी, जहां विरोध में होने
चाली भारी-भारी संस्थाए' होना साधारण बात थी। इस बात
का अनुभव किया गया कि किसानों के लिए चनया गाव
नया कानून, जिसने जीवनभर के लिए पट्ट का अधिकार तथा
अन्य बहुत-सी सुविधाए' पैदा कर दं। थीं, किसानों के दुर्भाग्य
को तनिक भी घाम नहीं कर सका था। इस युग की प्रमुख
शाजनीतिक घटनाओं में युक्तप्रांत का १६३० का करबन्दी
आन्दोलन और १६३१ का दिल्ली पैक्ट महत्वपूर्ण थे। इस
चैक्ट में सरकार के साथ सममौते की नीति का स्पष्टीकस्ण
है। पंडित गोविन्द्बल्लभ पन्द को प्रान्तीय सरकार के साथ
सम्पके स्थापित करने के दिए विशेष अफसर नियुक्त किया
गया। क्ृपि-सम्धन्धी संकट की चारतविकता, खाद्यपदा्ों के
सूल्य में बेहद कमी होने और औसत किसान की लगान अदा
करने की असमर्थता की बात को स्वीकार क्रिया गया। साथा-
, रएतः सरकार ने जर्मीदासे से वतिं दीं । जमीदारों को लगान
कम करने या उसे माफ करन के लिए कद्ठा गया। जमीदारों ने
कोई भी ऐसाफार्य करने से तव तक के खिए मना कर दिया
जब तक कि सरकार स्ववं अपने हारा मांगे हुए कमान फा
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