राजप्रशस्तिः महाकाव्यम | Rajprashasti Mahakavyam

55/10 Ratings. 1 Review(s) अपना Review जोड़ें |
श्रेणी :
Book Image : राजप्रशस्तिः महाकाव्यम - Rajprashasti Mahakavyam

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about मोतीलाल मेनरिया - Motilal Menriya

Add Infomation AboutMotilal Menriya

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
भूमिका ও] शावस्त-वहतश्व-कुवतयाश्व (प्रपरनाम घु धुमार)-दृढाश्व- हयश्व-निकु भ- बहणाए्व-दुशाश्व-सेनजितु-य्रुवनाश्व--मा घाता (प्रपरनाम त्रसहस्यु- पुरुकुत्स- असहस्यु-अनरण्य-हयश्व-अरुण-तिबधन सत्यत्रत (अपरनाम निशकु) हरिश्चद्र 'रीहित-हरित-चप-मुदेव-विजय-भरक- क-वाहुक--सगर। सगर के सुमति नामक पानी से साठ हजार पुत्र हुए जिहोने समुद्र बनाया तथा वेटिनी से एक पुत्र हुआ जिसवा नाम भ्रसमजस था। भप्तमजस के वश का क्रम इस प्रकार है--अशुमान्‌ू-“दिलीप--भगीरथ--श्रू त--नाभ +-पिधुद्धिप--अ्रयुतायु-- ऋतुपण ---सवकाम--सुदास--मिश्रसहू( अपरनाम कल्मापपाद -- प्रश्मक--मतक --- दशरथ -- एडविड-- विश्वस्तह -- खटवाग -- टिलीप--रघू--अज-- दशरथ । हशरथ के कौशल्या नामक पत्नी मे राम ककेयी से भरत प्रोर सुमित्रा বি लश्मण तथा शत्रुध्न नामक पुत्र हा । राम के सौता से कुश शोर लव तथा कुश के कुमुद्ठती से अतिथि नामक पुत्र हग्ना । भ्रतिथि का वश इस प्रकार चता--निपध-- नल--पु डरीक -- सेमधघ আা--- वानीक--अ्रहीन--पा रियात्र बल--स्थत--वज्धनाम --सगण--विधघति---हिरण्यनाथ - पुथ ध्रुवसिद्धि सुटशन--म्रग्निवण- शीघ्र - मस~ प्रमुश्रत--सधि-- मपण-- महस्वान्‌ --विषएवनाद्वे प्रस्ना] -तेशक--बृहद बल | बृटदूयल मराभारत-सप्राम में ग्रभिम यु द्वारा मारा गया ज्सिका उल्लेख “महाभारतग्रय मे हुआ है। भागवत के नवमस्कधमेब्रहद्बलसेश्राग का वश-श्रम इस प्रकार दिया गया है -- “>बृहद्रण -उस्किय--वत्सवृद्ध-प्रतिस्योम-- भानु -- दिवाक--महदेव -इहृदशा--भावुमान्‌--प्रतीकाश्व---सुप्रतीक -- म टेव-- सुफक्षत्र---प्रुष्कर आतरिध-युतपा--मित्रजितु--वृहंदभ्राज -- बेहि-- छत जयप---स जय --- शा क्य - शुद्धोद--लागल--प्रसेनजि[--क्षुद्4--रुणक--सुरथ--सुरध--सुमित्र । सुमित्र पयात इध्वाबुबश বা ये १२२ राजा हुए 1 इसके बाद सूय-बश का क्रम बताया गया है --




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now