साहित्य - संतरण | Sahitya Samtaran
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
6 MB
कुल पष्ठ :
224
श्रेणी :
यदि इस पुस्तक की जानकारी में कोई त्रुटि है या फिर आपको इस पुस्तक से सम्बंधित कोई भी सुझाव अथवा शिकायत है तो उसे यहाँ दर्ज कर सकते हैं
लेखकों के बारे में अधिक जानकारी :
इलाचन्द्र जोशी - Elachandra Joshi
No Information available about इलाचन्द्र जोशी - Elachandra Joshi
गंगा प्रसाद पाण्डेय - Ganga Prasad Pandey
No Information available about गंगा प्रसाद पाण्डेय - Ganga Prasad Pandey
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)कला और जीवन ७
कलाकार के लिए जो सत्य है, वह कोई काल्पनिक या अध्यात्मिक्र
सत्य नही है, वह तो जीवन का ही सत्य है, जिसके कारण दोनो का
अस्तित्व है।
जीवन और कला के इस सात्विक सम्बन्ध का अर्थ यह कदापि
नहीं है कि कला जीवन की प्रतिलिपि है । जीवन का ठोस और कुरूप
कला मे कुछ भी नहीं रहता । दैनिक व्यवहार मे आनेवाली स्थूल बाते
उससे नही के बराबर होती हैं, उसमे आनन्द और सौदर्य का आधिक्य
रहता है, क्योकि कला मे पत्यक्ष जीवन नहीं वरन् जीवन की प्रतीति
रहती है। सत्य, सुन्दर, मगल, आनन्द, प्रेम, भक्ूठ, अनिष्ट, दुःख और
घृणा एक दूसरे से सम्बद्ध हैं, फिर जीवन, जो इनके मेल से निर्मित है,
इनसे कैसे अलग किया जा सकता है १ कला हमारी इन्दी भावो की
अभिव्यजना है, इससे वह जीवन से सदैव सम्बन्धित रहेगी | हाँ, इतना
अन्तर अवश्य ही रहेगा कि जीवन प्राकृतिक उपादानों का सघात है,
उपज है, और कला आत्मा की | जीवन की शक्ति समय और स्थान पर
निर्भर है और कला की भावों मे | जीवन सीमित है, कला विस्तृत ।
जीवन की भौतिकता का साधन शरीर है और आध्यात्मिकता का---मान-
सिक सस्कृति का--साधन कला है, इसीलिए, कुरचि और कुरूपता का
उसमे कोई स्थान नदीं है |
- अन्त मे यह बता देना उचित दोगा करि कला की शक्ति सश्लेषणी
है, विश्लेषणी नहीं | वह जीवन की प्रत्यक्ष आशिकता के अधिकार से
बन्दी नहीं है, वह तो इसके बीच में एक समग्रता, पूर्णता की खोज है |
ययपि कला के लिए जीवन का कुछ भी त्याज्य नहीं है, किन्तु বা
User Reviews
No Reviews | Add Yours...