भूदान गंगा [खण्ड-३] | Bhoodan Ganga [Khand-3]
श्रेणी : धार्मिक / Religious
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
4 MB
कुल पष्ठ :
341
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)अरईटसा के तीन भर्प॑ १७
इम न किसीसे डरेंगे म किसीको डरायेग॑
हिंसा मे बिश्वास रखनेषासे संदा मयभीत रहते हैं। वे शरीर को हे भा्मा
समझते हैं। शरीर को काइ मारे या पीटे, तो ठसकी धरण झा बाठे हैं। पाप
खत बर्च्चो को पीय्ठा ना गुरु कब शिप्म की धाड़ना कए्ता है, तो बद उसे
पिस्य हने क्री ताढीम देता है। मह सच दे कि बाप बेटे को पीयता है, तो
उसकी मक्षई $ लिए पीटता हे छेकिन उससे बह उसे डरपोक ही बनाता है।
भह कहता रे ফি ररि छरीर को कोश पौड़ा दे, तो ठछकी घरभ पर चढ़ व्यभ | प
ठाकीम मगमीत बनाती है। भ्गर मयमीत बनाकर कोई अच्छा काम हो श्राय,
दो তর ছটা सार नहीं निमम शोकर ही उदय आगे गठना बाहिए। भगर इम
अपनी भह्टिसा की शक्ति बढ़ाना धाह हैं तो यश हुठ छेना होगा कि ईएमम दो
गिते सरतो भोर न किसीको स्यायेगे ए । णो पूरये को स्रयेगा, पमक्ममेगा,
बह सब भी डर्गा | इसडिए एम पूसरों को डदरायगे नहीं और न दूतरों से श्ट्गं
शी । एग छिक्षारूव और दियारूस में मशी दाश्यीम देनी होमी। गुरु शिष्प से कईंगा
চি तुम्द कोइ डरा-बमकाऊर तादीम दे, थो मठ मानों | बाप मी बेडे से कट्ेगा
कि ढोइ पमक्पकर या सांग डेकर पीणठा है, हो मव मानो भगर जिचार ते
सम्हारा शो तो मानो | कोई मारे पीरे या कश्छ कर दे तो मत भानो | कारण
पुम एरीए नही शरीर से भिन्न क्राध्मा हो। शरीर ठो मरनबाद्य ही है। जो
दूसरों को इबा फ्काता है; ठठ डाक्टर का भी शरोर उसे छोड ही थ्यटा है।
पष्प शरीर की भाठक्ति मत रखों। मात्मा की भूमिद्ा मे रहो । णण,
कोद सुझे मार नहीं छक्टा पीट मई तकता शना मद शकता पा म्म मष
छक्ता--मइ छो उमशेगा बदै दृतरी को मी न घमकाग्रेगा न दबागेग और न
श्रामेग ही । दका नाम मर्ष है।
निर्मपलय दो प्रकार की दोटी हैः ( १ ) वूसरे को ये पीय्ना मे शराना भीर्
(१) बूसरे से न डरला | स्ंप्रेजों $ राज्य मे एम इतने বব বন্ধ শে ধা नाम
हेने से ही कॉफ्ते पे । पर इपर भवेच च ं डरते थे, तो उबर हृरिजनों दो इबाते
मी थे । एक भौर ভু सिर ध॒काएं पे, तो बूसरी और दूनरी से पकमासे थे হা
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