यजुर्वेद शतकम | Yajurvaveda Shatkam

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Yajurvaveda Shatkam by जगदीश चन्द्र - Jagdish Chandra

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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(৮৮ ००००१ পি (न गहरियों के कर्तव्य प्रधासिनों हवामहे मदतइच रिशादस । परस्मेश सजोपत ॥ ३॥ ४४ ४ पदापं --टम लोग (बरम्भेण) प्रविचान्पी दुख होने से प्रलग होवे' (सजोपस ) वारवार प्रीति से सेवन करने (र्श्ादस ) दोप था दत्रुप्रों को न? कनै (प्रधासिन ) पदे हए पदार्थों बे भोजन वरने यते प्रतियि लोग ग्रौर (मरुत ) यज्ञ करने वाले ह विद्वान्‌ लोगो वी (हवामहे) सत्वारपूर्वव' नित्यप्रति ॥ बुलाते रहे। मावायं स्यो प उचित है हि वेद्यव, झूर- $ बीना और यज्ञ को सिद्ध करने वाले मनुप्यों को है बुला करं उनकी यथावत्‌ सत्वार पूर्वक सेवा बरके १ उनसे उत्तम उत्तम दिधा वा पिभाभो गौ निरन्तर 1 शहण करें । ७७०००७७० ००५१ ००१७४१० ०७४५८४१८. ७२.०७० ५७४००२१७ १४७४०८७०. २० ও আক ০ ও আআ 1 1111 का + ५७ + ৩ ক কক আও আও বা ৪ ও আও $ গা + ও এ 3 ও ও আক ৯ জা ০ ৯০০ কক কক




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