आत्मोद्धार | Aatmouddhar
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
8 MB
कुल पष्ठ :
271
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)आत्मोज्धार-
मिलाकर तीस विद्यार्थी थे । इन विद्यार्थयोंकीं गणितके सिद्धान्त और व्याकर-
णके नियम कंठ थे; पर इनसे क्या काम लिया जाता है यदह किसीकों मादम
न था । शारीरिक परिश्रम करना वे अपनी शानके खिलाफ समझते थे ।
वाहिंगटनकी सहर्धर्भेणियोंका सहधर्म ।
पाठशाला आरंभ द्वोने पर डेड महीनेके भीतर ही वाशिंगटनकी सहायताके
लिए मिस डेविडसन आगईं । वार्शिंगटनकी प्रथम पत्नीका देहान्त होने पर इनका
वाशिंगटनसे विवाह हो गया । वाशिंगटनके कुछ तीन विवाह हुए, और तीनों सह-
घर्मिणियोंने विद्यालयकी उन्नति करनेमें वाशिंगटनके द्वाथ बटाये। यह एक
ध्यानमें रखनेकी बात है कि जो नीग्रो जाति बहुत पिछड़ी हुई है उसके पास भौ.
किप्ती समय उन्नतिके धुराधारी हेनिका अभिमान रखनेवाले भारतवासियोंसि
कहीं अधिक साधन हैं । सामाजिक तथा शिक्षाविषयक बातोंमें उन्होने जो जो काम
उठाये हैं उनमें उनकी ल्लियाँ भी योग देती हैं | दम लोग इस संयोगसे अबतक
चित हैं । वाशिंगटनकी, आगे चलकर अनेक सहायक मिले और उनका
विद्यालय इस समय केवल नीग्रो अध्यापक और अध्यापिकाओं द्वारा श चल
रहा है ।
शिक्षाविषयक सिद्धान्त ।
उस समय दक्षिणके राज्योम फ्री सदी <५ नीग्रो खेती पर ही अपनी जीविका
चलाते थे । इस लिए वाशिंगटनने पहला सिद्धान्त यद्द निश्चित किया कि
शिक्षाका ऐसा फल न द्वो कि विद्यार्थी खेतीसे श्रम करना छोड़ दें | दूसरी बात
यद्द थी कि प्रत्येक विद्यार्थी कोई न कोई कला या हुनर जान जाय और वह
उद्योग, मितब्यय तथा सुब्यवस्थाका प्रेमी बन जाय, अथोत् उसमे इतनी
योग्यता आ जाय कि विद्यालयसे निकलने पर वह सुखसे अपना उदर निर्वाह
कर सके | तीसरी बात অহ খা कि विद्यार्थियोंको ऐसी शिक्षा मिले कि खेती
चारीके काममें वे एक नवीन जीवन डाल दें और जिन लोगोंके साथ उन्हें
जीवन व्यतीत करना है उनको मानसिक, नैतिक ओर धार्मिक उन्नति भी
कर सकें ।
आरंभ कैसे किया गया १
कोई उद्देय निश्चित करना एक बात है, और उस पर अमल करना गिक
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