डूबते मस्तूल | Doobate Mastool

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Doobate Mastool by श्री नरेश मेहता - Shri Naresh Mehata

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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१० । मस्तूल मे देख रहा हूँ कि ताँगे ने मोड लिया है--अरे, यह तो नॉर्थ एवेन्यू ही आ गयी ओौर अब मुझे एक क्षण भी इस मरियल तागे में बैठना अच्छा नही छूग रहा है। अब दो-तीन मिनट की बात और रह गयी है, में अपने बचपन के गहरे दोस्त के साथ बैठा हुँगा थोडी देर में--गर्म कॉफी होगी और होगा मेरा दोस्त अपनी पत्नी के साथ , उस दोस्त की पत्नी की वे धुली-धुली सीप जैसी आँखे, जिन्हे में अपनी कॉफी के कप में अवश्य देखना चाहूँगा। पत्नी बन जाने पर औरतो की आँखो मे रहस्य का नीलापन आ जाता है। दोनो ओर के बेंगलो के सामने आदमी और औरते हँसते हुए उजले कपडो में खडे हुए है। उन छोगो के कुत्ते लॉन की घास मे अपनी नाक से सूंघते हुए घूम रहे हे । यह पॉच नम्बर का बेगला है, वहाँ किसी सरकारी रीजनल आफिस का बोड ठेंगा हुआ है । मोटर सविस कम्पनी का कितना बडा अहाता है जो अभी तक खत्म ही नही हुआ है । यह सामने इडियन टरी- टोरियल आर्मी का बहुत बडा-सा बोर्ड ठेंगा हुआ है जिस पर नीले शब्दो में जॉइन दि आर्मी” लिखा है, और मुझे बगलॉर, उठकमड याद आ रहे है। बोडड में बने हुए इस आर्मी सन की मृ कितनी काली ओौर घनी रूग रही है। मगर में जानता हेँ कि यह सब व्स नेशनल गवनंमेट का प्रोपैगन्‍्डा है, बडी थकान की जिंदगी आर्मी की होती है । और ताँगेवाला एक बेंगले के सामने आकर रुका है । में समझ रहा हूँ कि ग्यारह नम्बर नॉर्थ एवेन्यू ही है, क्योकि यह बगलवाला नौ नम्बर का बँगला है, इस नौ के सामने दस होगा ही । बँगले के अहाते का दरवाजा खोलकर अब मेरा तॉगा अदर आ गया है। लकडी के इस दरवाजे पर पुरी की नेम-प्केट जरूर है, मगर पतर की नही--कारी दफ्ती पर सफेदी से लिखा हुआ नाम. जो कि बहुत पुराना पड चुका है। अहाते का दरवाज़ा जरूर ही पुराना है हालाँकि तारकोल पोतकर चमचमा दिया'गया है । लेकिन खुलते वक्त चुँ-चूँ'की आवाज की थी । में अहाते मे लगी चमेली के सफेद फूलो के पास कल्पना कर रहा हूँ अपने दोस्त पुरी और उसकी पत्नी की, कि वे लोग खडे हुए मेरी प्रतीक्षा कर रहे है। स्त्रियो की पतली लम्बी उगलियो की तरह कनेर की पत्तियों पर पीली केसरिया तितलियाँ उड रही हे । मेरा दोस्त लाहौर का है और उसे नरगिस के फूलो से मुहब्बत है । शायद पुरी की पत्नी को भी नरगिस ही प्रिय हो। तॉगे के पहिये के रबड के पास रँंग-बिरगे फूलों की क्यारियाँ लहरा रही हे--और में हिल रहा हूँ । मे बंगले की बरसाती में आ गया हूँ । बरसाती पर बेगमबेलिया के लाल फूलो की लताएँ खूब सारी घनी हरी होकर फैली हुई हे, किन्द्षु मुझे इस अहाते में जो सबसे ज्यादा नफरत पैदा कर देनेवाली चीज कग रही है वह्‌ है--इसकी गजी सडक । सोच रहा हूँ कि गिट्टियो की तेज नोके पैरो मे, जब कि विशेष कर वे नगे हो, कितनी बेरहमी से चुभ सकती है, इसका अदाजए लूगाया जा सकता है । में ज्यामिति की थ्योरम की तरह मानकर चर सकता हैँ कि मेरे दोस्त की पत्नी कभी इच्छा हो आने पद भी नगे कदमो से




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