मौलाना रूम | Maulana Room
श्रेणी : इतिहास / History
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
12 MB
कुल पष्ठ :
236
श्रेणी :
यदि इस पुस्तक की जानकारी में कोई त्रुटि है या फिर आपको इस पुस्तक से सम्बंधित कोई भी सुझाव अथवा शिकायत है तो उसे यहाँ दर्ज कर सकते हैं
लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
No Information available about जगदीशचंद्र वाचस्पति - Jagdeeshchandra Vachspati
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)( ५ )
नहीं दूर होती तब भो विशेष कष्ट उठाना पड़ता है। प्रयत्न
करनेपर यदि दृष्टकी प्राप्ति हो जावे पर कुछ ही समय पाद्
লগ होता दिखायी दे तो उससे भो नित्तक्ो श होता है।
इस क्लुशको बहुत बुरा समर ऋषियोंने यह मन्त्र उपनिषदमें वर्णित
किया है। इसलिये यदि कोई यह चाहे कि मेरे सब कष्ट दूर हों
ओर मेरा बेड़ा दुःख-सागरसे निकल आनन्द-तटपर पहुंचे तो
उस सन््तप्त हृदयकों उचित है कि आत्मझ्ञानकी नोकामें चढ़कर
पार उतरनेकी चेष्टा करे। यह आत्मज्ञान अध्यात्मविद्यासे
प्राप्त होता है । इसी लिये जिसने अध्यात्मविया ग्रहण कर ली
उसने अपना मनुष्य-जन्म सफल कर लिया और जिसने इस
सर्वोत्कृष्ट विज्ञानको छोड़ छोकिक्र विद्याको सीखा वह भारी
योटेमें रहा ।
“हह चेदवेदी दथ सत्यम्स्ति नो चेदवे दी मेहती विनाष्टिः”
अर्थात् जिसने मनुष्य-जन्म लेकर आत्मज्ञान प्राप्त कर
लिया उसने सचमुच एक उचित काय किया पर जिस मूलने
न जान पाया और दृधर-उधरकी बातोंमें समय गंवाया, उसने
बड़ा टोटा उठाया। इसी उत्कृष्ठ और सर्वोत्तम विचारकों
भगवान श्रीकृष्णने अपने वचनाखतसे यों कहा है कि--
अध्यात्म विद्या विद्यानाम!
फि< जो आत्म-विद्या सब विद्याओंसे उत्तम और उपयोगी है
उसका श्रवण, मनन तथा तदनुसार निदिध्यासन करना प्रत्येक
सम्रकदार मनुष्य का मुरुष कन्तेव्य हो जाता है ।
User Reviews
No Reviews | Add Yours...