राजस्थानी गद्य संग्रह | Rajasthani Gadh Sangrah
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
8 MB
कुल पष्ठ :
208
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
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सामालिक समस्यावां मार्थं गद्यकाव्य लिखिया। डा० मनोहर शर्मा रा ग्य
काव्य तिमाही पत्रिका वरदाः में छपिया | गद्यकाब्य रे क्षेत्र में थ्री कन्हैयालाल
सेठिया रो नाम विशेष उलेखजोग है । 'गकगचिया' संग्रह में लोक जीवण भर
प्रकृति र तत्वां ने माध्यम व्णार श्री सेठिया जीवण रा मोबढा अणुभव धर
मत्य व्यजित करिया है । थे गद्यकाव्य बातचीत, सम्बोधन भर कथा रे ढंग मू
लिखियोड़ा है ।
निवन्ध साहित्य :
राजस्थानी भाषा रै निवन्ध लेखण मे बढ़ावों देवण रो काम भठारी पन्न-
पत्रिकाबवां कियो । इणां में प्रमुख है--- मरुवाणी” (जयपुर), 'ओोछसो' (रतन-
गढ़, 'हरावक्क' (वम्बई। लाडेसर' (कलकत्ता), “जागतो जोत” (वीकानैर) भादि ।
याकासबाणी सु विविध विषयां मार्थ बारतावाँ प्रसारित होण सू भी निवन्धं
साहित्य री बढ़ोतरी हुई । राजस्थानी হা জর निवन्ध मोटे रूप श्' चार प्रकार
रा है--( १) वरणनात्मक-विवरणात्मक' (२ , विचारात्मक, (3) भावात्मक,
(4) ह्वास्य- व्यंग्यात्मक :
वरणनात्मक-विवरणात्मक निवन्ध सांस्कृतिक अर साहित्यिक धरातल
सू' लिखीजग्या है । सास्क्ृतिक धरातल सू लिखियोड़ा घणकरा निवन्घ त्रत,
तीज तेवार अर यात्रानवृत्त सू' सम्बन्ध राखे। साहित्यिक धरातल सू*
लिखियोड़ा घणकरा मिवन्ध पुराण कविय्रां अर ग्र था री जाणकारी देव॑ |
विचारात्मक निवन्धां में चिन्तन री प्रष्मानता हुवे । सामाजिक साहित्यिक
भारिक, राजनीतिक आदि किणी भी मसला पर लेखक शापणों विचार राख
सकं है । भावात्मक निवन्धा में हिवर्ड री कोमल भावनावां रँ सार्ग कल्पना रो
मेल भर कवित्व पूर्ण शैली रो होणी जरूरी है । थे ललित निबन्ध भी कही
जे । इणां में प्रतीक पद्धति रो भी प्रयोग हुवे । हास्य-व्यंग्यात्मक निबन्धां में
युग री कमजोरियां अर विक्षतियां रो खाको खीच्यो जाब॑ । कथात्मक र
प्रतीकात्मक शैली रे प्रयोग यू अंड़ा निबन्ध खासा असरकारी वर्ण । इणां मे
लेखक खुद ने हास्य रो आलग्बन वार भापरी दुर्वल्तावा भर असफलताबां
रै ब्याज सू' युग री कड़वास ने उभारे ।
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