श्री कृष्णावतार भाग - १ | Sri Krishnavatar Bhag - 1

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Sri Krishnavatar Bhag - 1  by राधे श्याम कथावाचक - Radhe Shyam Kathavachak

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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रा 1 २ রনির বে श्रीकृष्णावतार ४ + হর ( देवकी जी अपने पति वसुदेव जी के साथ ससुराल जा रही हैं। कंस उन्हें रथ पर बिठाये पहुँचाने जारहा है। रथ के आगे बहुत से सिपाही तथा बहुत सी दासियां ই) .. (गायन नें० ४ ) . गायिकायें-- जग ज्ञग लो जिये जगमगाये, जगत्पति यहे जोडी जग में । র जब लों चन्द्र गगन पर राजे, जब लो नभ पर सूय्य बिराजे फले फूले सदा सुख पाये, जगत्पति यह जोड़ी जग में॥ ` जव लों है गंगाज प्यारा, जब लें है जघुना की थारा । कीरति के डंके बनाये, जगत्पति यह जोड़ी जग में ॥ গস मी ০০০৯৫, সু




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