श्री कृष्णावतार भाग - १ | Sri Krishnavatar Bhag - 1

55/10 Ratings. 1 Review(s) अपना Review जोड़ें |
Book Image : श्री कृष्णावतार भाग - १  - Sri Krishnavatar Bhag - 1

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about राधे श्याम कथावाचक - Radhe Shyam Kathavachak

Add Infomation AboutRadhe Shyam Kathavachak

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
रा 1 २ রনির বে श्रीकृष्णावतार ४ + হর ( देवकी जी अपने पति वसुदेव जी के साथ ससुराल जा रही हैं। कंस उन्हें रथ पर बिठाये पहुँचाने जारहा है। रथ के आगे बहुत से सिपाही तथा बहुत सी दासियां ই) .. (गायन नें० ४ ) . गायिकायें-- जग ज्ञग लो जिये जगमगाये, जगत्पति यहे जोडी जग में । র जब लों चन्द्र गगन पर राजे, जब लो नभ पर सूय्य बिराजे फले फूले सदा सुख पाये, जगत्पति यह जोड़ी जग में॥ ` जव लों है गंगाज प्यारा, जब लें है जघुना की थारा । कीरति के डंके बनाये, जगत्पति यह जोड़ी जग में ॥ গস मी ০০০৯৫, সু




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now