बुध्दि - उसका विकास और रूप | Buddhi Uska Vikas Aur Roop

55/10 Ratings. 1 Review(s) अपना Review जोड़ें |
Book Image : बुध्दि - उसका विकास और रूप  - Buddhi Uska Vikas Aur Roop

लेखकों के बारे में अधिक जानकारी :

गेस्टन वियाद - Gestan Viyad

No Information available about गेस्टन वियाद - Gestan Viyad

Add Infomation AboutGestan Viyad

जितेन्द्र - Jitendra

No Information available about जितेन्द्र - Jitendra

Add Infomation AboutJitendra

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
भूमिका 15 अधिक सुन्दर सूप से स्पष्ट किया ह । “मनोविज्ञान के सिद्धान्तो में उन्होने लिखा हैँ :-- 'उद्दाहरण के लिए, यदि मुर्गों को अंडे सेने के परिणाम का पूर्वाभास नहीं होठा तो बह ऐसे परम दुःखद और दीरस काम करने का कष्ट बयों झेलती हैं ? ...मनुध्य हमेशा सख्त फर्श के बजाय नम बिस्तर पर ही क्‍यों लेटनां चाहता है ? वह गंदे पानो की अपेक्षा शेम्पेन ही क्यो पसंद करता हैं ? कोई युवती किसी युवक के मन को इतना आकर्षित क्यों करती है कि उसे उस युवती के सामने दुनिया को हर चीज तुच्छ नजर आती हैं। इन सबके बारे मे केवल यही कहा जा सकता हँ छि मनुष्य के ये अपने खास तरीके हैं, और प्रत्येक प्राणो अपने-अपने ही तरीके परगंद करता हैं और बहू अनजाने हो उनका अनुसरण ही करना चाहता ই ।+ अन्त में, एक अन्य प्रकार को सहज प्रवृत्ति अर्यात्‌ सहज जानकारी का उल्छेख मी यहां आवश्यक है--बह हैं (६1109-1100/)। ये बहज प्रवृत्तियां क्रियाओं की एक स्थायी की सी होती हैं, जो कमी कभी बडी जटिल और हमेशा एक विशिष्ट प्रकार की होती हैं । ये क्रिपाएं नियमित रूप से एक के बाद दूसरे क्रम से होती रहतो हैं। यह व्यवहार करिसो भी जाति के सभो सइस्पों में जोबत के एक निश्चित काल में पाया जाता है गौर ऐसे लक्ष्यों की ओर होता है, जिसका प्राणी को स्वयं कोई शान नही होता । इस प्रकार की क्रियाओं के आधार पर इस श्वास्त्रीय अम्युक्तित की पृष्ठ की जा सकती हैँ कि सहज प्र,त्ति एक जन्मजात, निश्चित, अपरि- वर्तनशील, विरिप्ट मौर अंधी क्रिया है। फाब्रे (5016) ने गुबरेला के एक दृष्टांत से इसे और भी सुन्दर रूप से स्पष्ट किया हैं, जिसमें उन्होंने য্বইল্গা के घोसला बनाने की प्रवृति का बर्णव किया हूँ जो गोवर की मोरी का एक्‌ एषा अंडा बनाता हैँ जिससे बच्चा निकलते हुए बह खुद कभी नहीं देख पायेगा 1 पाठक को कोई भ्रम न हो, इसलिए कुछ बातें यहा स्पष्ट कर देनी आवश्यक है--(1) ये कियाए अत्यन्त विशिष्ट प्रकार की होती है और




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now