गांधी अभिमंदन ग्रन्थ | Gandhi Abhinandan-granth
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
14 MB
कुल पष्ठ :
290
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)प्रास्ताविक
गांधीजी 0 ६१
गांधीजी का धमं चौर राजनीति
सर सर्वपल्ली राधाकृष्णन
[ वाइसचासलर, काशी हिन्दू-विदवविद्यालय, काशी |
भूतल ०र मनृप्य-जीवन की कथा में सबसे वडी घटना उसकी आविभौतिक
सफलताये अथवा उस द्वारा बनाये और विगाडे हुए साम्राज्य नहों, वल्कि सचाई तथा
भलाई की खोज के पीछे उसकी आत्मा की हुई युग-युग की प्रगति है| जा व्यक्ति
आत्मा की इस खोज के प्रयत्नों मे भाग लेते हे, उनको मानवी सभ्यता के इतिहास में
स्थायी स्थान प्राप्त होजाता है । समय महान् वीरो को, अन्य अनेक वस्तुओ की भांति,
बडी सुगमता से भूलछा चुका है, परन्तु सन््तो की स्मृति कायम हं । गावीजी की महत्ता!
का कारण उनके वीरतापूर्ण सवर्प इतने नहीं, जितना कि उनका पवित्र जीवन है, और
यह भी कि ऐसे समय में जबकि विनाग की जक्तितियाँ प्रवल होती दीख रही है, वह
सात्मा कीं सुजन करने तथा जीवन देने कौ गक्ति पर जोर देते है ।
राजनीति का শালিক आधार
ससार में गाधीजी की यह ख्याति हैँ कि भारतीय राप्ट्र के प्रचण्ड उत्थान का
और उसकी दासता की गुखलाओ को हिला डालने तथा शिधिलू कर देने का काम एक
उन्दीने अन्य किमी भी व्यक्ति की अपेक्षा अधिक किया हैँ । राजनीतिन्न लोग जामतीर
पर धर्म की गहराई में नही जाते । क्योकि एक जाति का दूसरी जाति पर राजनतिक
आधिपत्य और निर्घन तथा निर्वेल मनुष्यो का आाथिक गोपण आदि जो लक्ष्य राज-
नीतिज्ञो के सामने रहते है, वे धामिक लक्ष्यों से स्पप्ट ही इतने भिन्न तथा असम्बद्र हे
कि वे लोग इनपर गम्भीरता से जौर ठीक-ठीक चिन्तन कर ही नहीं सकते । परन्तु
गाघीजी के लिए तो सारा जीवन यहा से वहाँ तक एक ही अभग वस्तु है। “जिसे
सत्य की सर्वव्यापक विश्व-भावना को अपनी अस से प्रत्यक्ष देखना हो उसे निम्ननम
प्राणी को आत्मवत् प्रेम कर सकना चाहिए | और जिस व्यविन कौ यह् महत्वाक्राना
होगी वह जीवन के किसी भी क्षेत्र से अपनेको पृथक् नहीं रस सकेगा | यही कारण है
कि मेरी सत्य-भक्ति मुझे राजनीति के क्षेत्र में खीच छाई है, और में बिना तनिक भी
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