खादी के फूल | Khadi Ke Phool
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
4 MB
कुल पष्ठ :
169
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)खादी के फूल
न
हिम किरीटिनी, मौन आज तुम शीश्च भूक्राए ,
सौ वसंत हों कोम अंगों पर कुम्हलाए!
वह जो गोरव शुंग धरा का था स्वर्गोज्वल ,
टूट गया वह ?7---हुआ अमरता में निज ओम !
लो, जीवन सौदये ज्वार पर आता गांबी ,
उसने फिर जन सागर मे आभा पुल बंधी '
खोलो, मा, फिर बादल सी निज् कबरीं श्यामल ,
जन मन के शिखरों पर चमके विद्युत के पल!
हृदय हार सुरधुनी तुम्हारी जीवन चंचल ,
स्वर्णं श्रोणि पर शीश धरे सोया विध्याचल।
गज रदनों से शुभ्र तुम्हारे অবলা में घन
प्राणों का उन्मादन जीवन करता नतन!
तुम अनंत यौवना धरा हो, स्वर्गाकांक्षित ,
जन को जीवन शोभा दो : भू हो मनुजोचित !
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