शाद्वल | Shadwal
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
3 MB
कुल पष्ठ :
155
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)रादरल
किसने मोती के हार पिन्हा
सायं-प्रातः निमेष-रष्
देखा, करता ही रहा नित्य
अहरह अट्ट श्रालोक-वृष्टि १
किसके गीले वे अन्तस्तल !
्राशाऽभिलाष, दुख) देन्य, ताप,
चिन्ता, आकुलता, मर्मोञ्ज्वल
जिसके तुम एर, अप्रमाण
शत-शत रूपों में पड़े निकल !
वह कौन विकल !
जिसके उच्छ वास-श्वास पागल ;
तुमको लहरा जाते प्रतिपल ,
जग देखा करता रूप - राशि
आनन्द-मुग्ध, नत-नयन अचल !
हे, जिसके मम्मोघात देख
बन निर्निमेष
जाते कितने पाषाण पिघल,
वह कोन विकल ९
प्रो, भ्रिय शाद्रल !!
দ-+8০
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