श्री समयसार शास्त्र पर प्रवचन भाग-4 | Shri Samayasar Shastr Par Pravachan Volume-iv

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Shri Samayasar Shastr Par Pravachan Volume-iv by श्री कुन्द्कुंदाचार्य - Shri Kundkundachary

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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ॐ ॐ नमः लिद्धेभ्यः परम पूज्य श्री कानजी स्वामके श्री समयसार शाख पर भवचन ( चौथा भाग ) कर्तकं अधिकार [० 00० मंगल भगवान वीरो भंगं गौतमो गणी । মান इन्दङ्न्दार्योः नेनधर्मोऽस्तु मंगलम्‌ ॥ अज्ञानतिमिरान्धानां লানাভললহাভাক্ষঘা | चक्षुरुन्मीलितं येन तस्मै श्रीगुरषे नमः ॥ अब यह कर्ता-कर्म अधिकार प्रारम्भ होता है, यह अधिकार ७६ गाथाओंसे है । समस्त भरतक्षेत्रमे इस काल-वर्तमानमे इस समयसारके अतिरिक्त ऐसा कर्तावर्मका अधिकार अन्यत्र कहों भी नहीं है । इस समय सनातन जैनदर्शनके हजारों शास्त्र हैँ, किन्तु इतने विस्तारसदित यह कृर्ताकर्मक अधिकार समयसारके अतिरिक्त अन्य कहीं पर नहीं है |




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