श्री समयसार शास्त्र पर प्रवचन भाग-4 | Shri Samayasar Shastr Par Pravachan Volume-iv
श्रेणी : जैन धर्म / Jain Dharm
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
23 MB
कुल पष्ठ :
562
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)ॐ
ॐ नमः लिद्धेभ्यः
परम पूज्य श्री कानजी स्वामके
श्री समयसार शाख पर भवचन
( चौथा भाग )
कर्तकं अधिकार
[० 00०
मंगल भगवान वीरो भंगं गौतमो गणी ।
মান इन्दङ्न्दार्योः नेनधर्मोऽस्तु मंगलम् ॥
अज्ञानतिमिरान्धानां লানাভললহাভাক্ষঘা |
चक्षुरुन्मीलितं येन तस्मै श्रीगुरषे नमः ॥
अब यह कर्ता-कर्म अधिकार प्रारम्भ होता है, यह अधिकार ७६
गाथाओंसे है । समस्त भरतक्षेत्रमे इस काल-वर्तमानमे इस समयसारके
अतिरिक्त ऐसा कर्तावर्मका अधिकार अन्यत्र कहों भी नहीं है । इस समय
सनातन जैनदर्शनके हजारों शास्त्र हैँ, किन्तु इतने विस्तारसदित यह
कृर्ताकर्मक अधिकार समयसारके अतिरिक्त अन्य कहीं पर नहीं है |
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